पाकिस्तानी मूल के लेखक ने भारत में पुरस्कार वापसी पर उठाए सवाल

Friday, Nov 20, 2015 - 11:24 PM (IST)

इंदौर : पाकिस्तानी मूल के कनाडाई लेखक तारेक फतेह ने भारत की धार्मिक विविधता की जमकर तारीफ की और साथ ही, असहिष्णुता मेें कथित वृद्धि के विरोध में अलग-अलग तबकों की भारतीय हस्तियों के सरकारी पुरस्कार लौटाने के हालिया चलन पर सवाल उठाते हुए इसे ज्यादा तवज्जो नहीं देने की सलाह दी। फतेह ने ‘इंदौर साहित्योत्सव’ में भाग लेने के दौरान संवाददाताआंें से कहा, ‘इन हस्तियों को सरकारी पुरस्कार लौटाने का पूरा हक है। लेकिन मुझे उनका यह फैसला समझदारी भरा नहीं लगता। 
 
इन हस्तियों ने अपने पुरस्कार तब वापस क्यों नहीं किए, जब चरमपंथियों ने कश्मीर से पंडितों को बाहर निकाल दिया था और केरल में एक प्रोफेसर का हाथ काट दिया था।’ उन्होंने पूछा, ‘मशहूर चित्रकार (अब दिवंगत) एमएफ हुसैन को जब भारत छोडऩा पड़ा, तब इन हस्तियों ने अपने पुरस्कार क्यों नहीं लौटाए थे। पुरस्कार वापस करने के चलन को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जानी चाहिए।’  पेरिस पर हाल में हुए आतंकी हमले को ‘क्रिया की प्रतिक्रिया’ बताने वाले उत्तर प्रदेश के काबीना मंत्री आजम खान की भी फतेह ने आलोचना की। 
 
65 वर्षीय लेखक ने कहा, ‘फ्रांस ने दुनिया को एक सभ्यता दी है। इस देश पर हुए आतंकी हमले को क्रिया की प्रतिक्रिया बताने वाले लोगों पर लानत है।’  फतेह ने ‘इंदौर साहित्योत्सव’ के उद्घाटन सत्र में ‘धार्मिक अतिवाद और समकाल’ विषय पर अपने व्याख्यान के दौरान भारत की धार्मिक विविधता की तारीफ की और इस मुल्क को ‘मानवीय सभ्यता का भविष्य’ बताया। उन्होंने कहा, ‘अगर सारी दुनिया तबाह हो जाए और केवल हिंदुस्तान बचे, तब भी इस दुनिया का कुछ नहीं बिगडेगा क्योंकि इस मुल्क में हिंदू, मुसलमान, सिख और ईसाई मिलकर रहते हैं। 
 
फतेह ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत के मुस्लिम लेखकों को धार्मिक अतिवाद की समस्या के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘भारत के मुस्लिम लेखकों को खुलकर कहना चाहिए कि चूंकि सशस्त्र जिहाद भारतीय संविधान के खिलाफ है। इसलिए वे इसे सिरे से खारिज करते हैं।’  
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