अमेरिका का चीन को चैलेंज, NSG में हो कर रहेगी भारत की एंट्री

Wednesday, Jun 29, 2016 - 11:31 PM (IST)

नई दिल्ली : परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में चीन के नेतृत्व में हुए विरोध के चलते भारत का प्रवेश बाधित होने के एक सप्ताह बाद अमेरिका ने आज कहा कि एक देश सहमति आधारित संगठन में सहमति को तोड़ सकता है। साथ ही अमेरिका ने जोर दिया कि एेसे सदस्य को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। अमेरिका के राजनीतिक मामलों के उपमंत्री टॉम शैनन ने कहा कि अमेरिका परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत का प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
 
यह बात अमेरिका के एक शीर्ष राजनयिक ने आज कही और ‘‘दुख’’ जताया कि सोल में पिछले हफ्ते समूह की वार्षिक बैठक में उनकी सरकार भारत को सदस्य बनाने में सफल नहीं रही। उन्होंने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि सहमति आधारित संगठन में एक देश सहमति को तोड़ सकता है। लेकिन एेसा करने पर उसे जवाबदेह बनाया जाना चाहिए न कि अलग-थलग किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि हम आगे बढ़ें, भारत और अमेरिका मिल बैठकर विमर्श करें कि सोल में क्या हुआ, राजनयिक प्रक्रिया पर नजर रखें जो महत्वपूर्ण है और देखें कि अगली बार सफल होने के लिए हम और क्या कर सकते हैं।’’ 
 
भारत पिछले हफ्ते चीन के विरोध के कारण प्रतिष्ठित परमाणु व्यवसाय समूह में प्रवेश पाने में विफल रहा था। भारत को एशिया प्रशांत क्षेत्र में ‘‘स्थिरता का वाहक’’ बताते हुए अमेरिका के राजनीतिक मामलों के उपमंत्री टॉम शैनन ने यह भी कहा कि चीन दक्षिण चीन सागर में जो कर रहा है वह ‘‘पागलपन’’ है और वह चाहता है कि हिंद महासागर में नई दिल्ली बड़ी भूमिका निभाए। विदेश सेवा संस्थान में एक वार्तालाप सत्र में उन्होंने कहा कि चीन के बढाने पर अंकुश लगाना बड़ी चुनौती है और अमेरिका भारत के साथ काम करना चाहता है ताकि हिंद महासागर में मजबूत और व्यापक उपस्थिति दर्ज कराई जा सके। 
Advertising