राज्यपालों के पास सीमित अधिकार हैं , निष्पक्षता से करें इस्तेमाल: न्यायालय

Wednesday, Feb 10, 2016 - 01:14 AM (IST)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि किसी मुख्यमंत्री के विशिष्ट अधिकार को राज्यपाल नहीं हड़प सकते। उसने कहा कि संविधान में राज्यपालों के ‘सीमित अधिकार’ हैं जिनका इस्तेमाल ‘लोकतंत्र’ की अक्षुण्णता सुनिश्चित करने के लिए न्यायोचित और निष्पक्ष तरीके से किया जाना चाहिए। न्यायालय ने अरुणाचल प्रदेश में राजनीतिक संकट की पृष्ठभूमि में राज्यपालों के अधिकारों की विवेचना करते हुए ये टिप्पणियां कीं।
 
न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, ‘‘संविधान के तहत, उन्हें (राज्यपाल को) बहुत अधिक अधिकार नहीं है। उन्हें सीमित अधिकार प्राप्त है जिनका इस्तेमाल निष्पक्ष तरीके से करना चाहिए ताकि लोकतंत्र बना रहे।’’ संविधान पीठ ने अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के सत्र की तारीख पहले करने के राज्यपाल जे पी राजखोवा के फैसले को चुनौती देने वाली कांग्रेसी नेताओं की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां उस वक्त की जब कांग्रेस के कुछ बागी विधायकों के वकील ने राज्यपाल की कार्रवाई को न्यायोचित ठहराया। 
 
इस मामले में मंगलवार को सुनवाई पूरी करने से पहले पीठ ने अरुणाचल विधानसभा के डाक रिकार्ड से संबंधित सीलबंद लिफाफा खोला। ये रिकार्ड विधान सभा के सचिव ने उपलब्ध कराया है। न्यायाधीशों ने उनकी मौजूदगी में ही वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की सहायता से डाक रजिस्टर का अवलोकन किया और इस अधिकारी से कुछ सवाल किए और बाद में इस मामले को संबंधित पक्षकारों को यदि कोई आपत्ति हो तो उसे उठाने के लिए छोड़ दिया।  
 
सुनवाई के दौरान कुछ बागी विधायकों की आेर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि प्रशासनिक मुखिया होने के नाते राज्यपाल ने अपने विवेक से यही सोचा कि यह (सदन को आहूत करना और फिर कार्यवाही करना) एक समाधान हो सकता है। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति पी सी घोष और न्यायमूर्ति एन वी रमण शामिल हैं। पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 175 के अंतर्गत राज्यपाल के अधिकार सीमित हैं। 
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