यदि सदन में अविश्वास मत पारित हुआ तो इसमे कुछ भी गलत नहीं: न्यायालय

Monday, Feb 08, 2016 - 09:05 PM (IST)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि यदि कांग्रेस के नेतृत्व वाली नबम तुकी सरकार के खिलाफ अरुणाचल प्रदेश विधान सभा में अविश्वास उस समय प्रस्ताव पारित हुआ जब अध्यक्ष को पद से हटाने के बाद सदन की कार्यवाही की जिम्मेदारी उपाध्यक्ष निभा रहे थे तो उसमें कुछ भी गलत नहीं है। 

न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, ‘‘यदि अध्यक्ष का पद उपाध्यक्ष ने ग्रहण कर लिया था और अध्यक्ष को हटाने के बाद वह सदन के प्रभारी थे और विधायकों का एक वर्ग खडे होकर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करता है और वह पारित हो जाता है तो इसमें क्या गलत है?’’  कांग्रेसी नेताओं की आेर से बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता फली नरिमन ने इस पर कहा, ‘‘पहली नजर में, आप (पीठ) सही हो सकते हैं।’’  संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति पी सी घोष और न्यायमूर्ति एन वी रमण शामिल हैं।

पीठ ने प्रक्रिया से संबंधित कुछ मुद्दे उठाए जिसमें सवाल था कि क्या एेसा विषय (अविश्वास प्रस्ताव) सदन की कार्यसूची में होना चाहिए था। सुनवाई के दौरान कुछ बागी कांग्रेसी विधायकों की आेर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने फिर दोहराया कि राज्यपाल पर मुख्यमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद की सलाह के बगैर ही अपनी इच्छा से सदन की बैठक बुलाने के लिए कोई पाबंदी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ यही एक शर्त है कि सदन में होने वाली कार्यवाही का कुछ काम होना चाहिए और राज्यपाल पर पाबंदी नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि एक बार सदन की कार्यवाही शुरू हो जाने पर इसकी कार्यवाही के विषय तय करने में राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं होती है क्योंकि तब यह विधानसभा का काम होता है।

Advertising