उत्तराखंड संकटमें नया मोड़, स्टिंग वाले वीडियो में हरीश रावत का कबूलनामा

Sunday, May 01, 2016 - 09:32 PM (IST)

देहरादून : बागी विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त में खुद की संलिप्तता दिखाने वाली स्टिंग सीडी को अब तक ‘फर्जी और गलत’ बताने वाले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज उसमें अपनी मौजूदगी को स्वीकार करते हुए कहा कि पत्रकार से मिलना कोई अपराध नहीं है। रावत ने यहां एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद संवाददाताओं से एक बातचीत में कहा, ‘‘क्या किसी पत्रकार से मिलना कोई अपराध है? क्या तब तक तकनीकी रूप से अयोग्य घोषित नहीं हुए विधायकों में से किसी ने भी मुझसे बातचीत की तो इससे क्या फर्क पडता है? राजनीति में क्या किसी चैनल को हम बंद कर सकते हैं?’’  
 
इस संबंध में अपने निर्दोष होने का दावा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सीडी में से एेसा कुछ भी प्रमाणित हो जाए कि उन्होंने असतुष्ट विधायकों का समर्थन लेने के बदले में उन्हें नकद या किसी और प्रकार की पेशकश की तो वह जनता के सामने फांसी पर लटकने को तैयार है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर मेरे खिलाफ एेसा कोई प्रमाण मिलता है कि कि मंैने किसी को धन या किसी और चीज की पेशकश की तो मुझे घंटाघर पर लटका दीजिए। घंटाघर चौक देहरादून के बिल्कुल बीचोंबीच स्थित है।’’ हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री रावत के इस बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि उनके और स्टिंग सीडी बनाने वाले उस पत्रकार के बीच मुलाकात हुई थी। 
 
महत्वपूर्ण बात यह है कि रावत अब तक सीडी की सत्यता को ही चुनौती देते रहे थे और उन्होंने उसे ’फर्जी और गलत’ बताया था। रावत ने कहा, ‘‘मेरे लिए कोई क्यों 15 करोड रुपए खर्च करेगा। वह व्यक्ति (पत्रकार) मेरा समय निकालने के लिए कुछ अर्थहीन बातें कर रहा था और मैंने उसका समय गुजारने के लिए कुछ कहा। इससे क्या फर्क पडता है? हम रोजाना इस प्रकार की बातें कहते रहते हैं। क्या इसका मतलब है कि उनका प्रयोग हमारे खिलाफ किया जाए?’’ 
 
एक निजी चैनल के मुख्य संपादक द्वारा बनाई गई और नौ बागी कांग्रेसी विधायकों द्वारा प्रसारित की गई स्टिंग सीडी में कथित रूप से रावत को बागी विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए पत्रकार से सौदेबाजी करते दिखाया गया था। गत 18 मार्च को नौ कांग्रेसी विधायकों के बागी हो जाने और राज्य विधानसभा में भाजपा के साथ खडे हो जाने के बाद प्रदेश में सियासी संकट पैदा हो गया था जिसकी परिणिति 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन के रूप में हुई थी। 
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