आज अमावस्या: पद, पैसा और प्रतिष्ठा देगा ये चमत्कारी उपाय

Monday, Jul 04, 2016 - 08:06 AM (IST)

जो अमावस्या सोमवार के दिन आती है उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। सोमवार का दिन भगवान शिव के प्रिय चन्द्र देव को समर्पित है। भगवान ने स्वयं उन्हें अपने शीश पर स्थान दिया है। अध्यात्म की दृष्टि में चन्द्र को मन का कारक माना गया है। चन्द्र की रोशनी के अभाव में अन्धेरी रात से तात्पर्य है मन से संबंधित समस्त दोषों के हल के लिए उत्तम दिन। 
वेदों के मतानुसार, दर्षपौर्णमास्यायां यजेत्
अर्थात अमावस्या और पूर्णमासी को निश्चित ही यज्ञ करें। 
अमावस्या के समय जब तक सूर्य चन्द्र एक राषि में रहें, तब तब कोई भी सांसरिक कार्य जैसे-हल चलाना, कसी चलाना, दांती, गंडासी, लुनाई, जोताई, आदि तथा इसी प्रकार से गृह कार्य भी नहीं करने चाहिए। अमावस्या को केवल श्री हरि विष्णु का भजन र्कीतन ही करना चाहिए। अमावस्या व्रत का फल भी शास्त्रों में बहुत ही ऊंचा बतलाया है।
 
सूरज और चन्द्रमा ये दोनों शक्तिशाली ग्रह अमावस्या के दिन एक राशि में आ जाते हैं अर्थात एक राषि में रहते हैं तब तक अमावस्या रहती है। चन्द्रमा सूरज के सामने निस्तेज हो जाता है अर्थात चंन्द्र की किरणें नष्ट हो जाती हैं। संसार में भयंकर अन्धकार छा जाता है। तंत्र शास्त्र के मतानुसार अमावस्या के दिन किए गए उपाय, जाप, दान और पूजा अर्चना अत्यन्त प्रभावशाली होती है और इसका फल भी शीघ्र ही प्राप्त हो जाता है।
 
पीपल के पेड़ को शास्त्रों में अश्वत्थ कहा गया है और इसे श्री हरि विष्णु का स्वरूप माना जाता है। जब पिप्पलाद मुनि ने पीपल के पेड़ के नीचे तपस्या करके शनि देव को प्रसन्न किया तत्पश्चात इस पेड़ का नाम पीपल पड़ा। शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से पति की उम्र लम्बी होती है और उन पर आने वाले कष्ट टलते हैं। कोर्ट कचहरी और मुकदमें में विजय प्राप्त होती है, धन से संबंधित परेशानियों से राहत मिलती है एवं व्यावसायिक परेशानियों से छुटकारा मिलता है। इसके अतिरिक्त आज आपकी सभी समस्याओं का समाधान करेगा निम्न लिखा एक उपाय 

आज सोमावती अमावस्या के पवित्र पर्व पर पीपल के पेड़ पर तिल के तेल का दीपक जलाएं और ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का पेड़ के नीचे ही बैठ कर 108 बार जाप करें तो उपरोक्त लिखी सभी समस्याओं का अंत होगा। 

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