2016 में नहीं मिल पाएगा पितरों को मोक्ष, करना होगा 2017 के श्राद्ध पक्ष का इंतजार

Saturday, Sep 17, 2016 - 08:54 AM (IST)

शास्त्र बृहत पराशर होरा शास्त्रनुसार संसार के सभी जीवों पर बृहस्पति का प्रभाव सर्वाधिक रूप से जीवन पर पड़ता है। गुरु ग्रह को भाग्य, धर्म, अध्ययन, ज्ञान विवेक, मोक्ष, दांपत्य में स्थिरता, यात्रा, क्रय-विक्रय, शयनकक्ष व अस्वस्थता व उपचार का कारक माना गया है। कालपुरुष सिद्धांतानुसार बृहस्पति को सातवें व नवें घर का कारक माना गया है। गुरु सभी शुभ कार्यों के कारक हैं, इनका अस्त हो जाना अशुभ माना जाता है।
  
बृहस्पति दिनांक 11.08.16 को रात 10 बजकर 24 मिनट से कन्या राशि में गोचर कर रहे हैं। वर्तमान स्थिति में गुरु कन्या राशि में उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण में गोचर कर रहे हैं तथा सूर्य के नजदीक आने से देव गुरु बृहस्पति सोमवार दिनांक 12.09.16 को रात 03 बजकर 20 मिनट पर अस्त हो गए हैं। तथा देव गुरु बृहस्पति सोमवार दिनांक 10.10.16 को शाम 06 बजकर 02 मिनट तक अस्त ही रहेंगे, इसी के साथ शुक्रवार दिनांक 16.09.16 को शाम 06 बजकर 47 मिनट पर सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। 
 
देव गुरु बृहस्पति के कन्या राशि में अस्त होने से सभी शुभ कार्य वर्जित हो गए हैं। शास्त्रनुसार गुरु तारा अस्त होने से कुओं की खुदाई, नींव रखना, गृह प्रवेश, मुंडन, वाहन खरीदना, नया काम या व्यापार शुरू करना आदि कार्य वर्जित हो जाएंगे। शुक्रवार दिनांक 16 सितंबर से श्राद्ध पक्ष शुरू हो गया है। श्राद्ध पक्ष में गुरु तारा अस्त होने से पूर्वजों के श्राद्ध, पिण्ड दान और तर्पण कर्म प्रभावित होंगे। 
 
शास्त्रनुसार कन्या राशि युक्त बृहस्पति से सूर्य की युति में पूर्वजों के श्राद्ध-मुक्ति कर्म भी वर्जित माना जाता है। ऐसे में पूर्वजों के मोक्ष कर्म, गया श्राद्ध और मुक्ति समाधान हेतु अब लोगों को 2017 के श्राद्ध पक्ष तक इंतजार करना पड़ेगा परंतु पितृ के निमित वार्षिक श्राद्ध कर्म नियमित रूप से किए जाएंगे। गुरु तारा अस्त होने से तिथि अनुसार अपने पूर्वजों के प्रति श्राद्ध कर्म करने में कोई भी अड़चण नहीं आएगी। मात्र मोक्ष कर्म, गया श्राद्ध, तीर्थ में त्रिपिंडी दान कर्म वर्जित होंगे।  
 
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com 
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