शनि देंगे संपत्ति या रोजगार जानें, शुभ-अशुभ स्थिति

Friday, Oct 21, 2016 - 09:47 AM (IST)

जातक की जन्मकुंडली के किस भाव में शनि ग्रह विराजमान है, उस भाव में विराजमान होकर शनि अशुभ फल दे रहा है तो उसकी अशुभता दूर करने के लिए क्या उपाय करना चाहिए जिससे उसकी अशुभता नष्ट हो जाए और शुभ फल प्राप्त हो, इसकी जानकारी आगे दी जा रही है।

जन्म कुंडली में भावानुसार शनि ग्रह की अशुभता दूर करने के उपाय


प्रथम भाव में शनि का अशुभ फल
जातक की नौकरी समाप्त हो जाती है, जातक का पिता गरीब होने लगता है तथा जातक क्रोधी हो जाता है।
उपाय
मस्तक पर प्रतिदिन दूध या दही का तिलक लगाएं, सिद्ध शनि यंत्र धारण करें।

दूसरे भाव में शनि का अशुभ फल
जातक की विद्या अधूरी रह जाती है, संतान मूर्ख होती है तथा जातक दरिद्र होता है।
उपाय 
मछली, भैंस, कौवे को भोजन दें, सिद्ध शनि यंत्र गले में धारण करें तथा शनि स्तोत्र का पाठ करें।


तीसरे भाव में शनि का अशुभ फल
जातक पिता की सम्पत्ति बेचकर खा जाता है, व्यवसाय में अधिकतर हानि होती है तथा तीसरे भाव का अनिष्ट शनि जातक को दरिद्र बना देता है।
उपाय
बजरंग बाण का नित्य पाठ करें, एक या तीन काले कुत्ते पालें तथा सिद्ध शनि यंत्र का नित्य पूजन करें।


चौथे भाव में शनि का अशुभ फल
जातक क्रोधी होता है, जातक किराए के मकान में निर्वाह करता है तथा अत्यधिक परिश्रम करने पर भी सफलता नहीं मिलती।
उपाय
सर्प को दूध पिलाएं, कौओं को दाना डालें, रात को दूध न पिएं तथा कच्चा दूध शनिवार को कुएं में डालें।


पांचवें भाव में शनि का अशुभ फल
हृदय रोग हो सकता है, जातक के धन को उसकी संतान बर्बाद कर देती है तथा व्यापार में हानि होती है।
उपाय
अंधेरी कोठरी में जंग लगा हथियार रखें, साबुत मूंग अंधेरी कोठरी में काले कपड़े में बांध कर रखें तथा सिद्ध यमाग्रज शनि यंत्र धारण करें।  


छठे भाव में शनि का अशुभ फल
जातक का छोटा भाई ही शत्रु बन जाता है, जातक लम्बे समय तक रोग ग्रस्त रहता है, परिवार में अनेक एक्सीडैंट होते हैं तथा नौकरी-पेशा जातक की नौकरी जाने का खतरा रहता है।
उपाय
चार सूखे खड़कते नारियल बहते दरिया में प्रवाहित करें, चमड़े की वस्तुओं का उपयोग न करें, शनिवार का व्रत रखें और सिद्ध शनि यंत्र धारण करें तथा हनुमान चालीसा का प्रतिदिन पाठ करें।


सातवें भाव में शनि का अशुभ फल
जातक शराबी हो तो उसका सर्वनाश हो जाता है, जातक के पिता का धन बर्बाद हो सकता है, जातक डाकू या चोर हो सकता है तथा जातक दुखी रहता है।
उपाय
सिद्ध शनि यंत्र की प्रतिदिन पूजा करें, काली गाय की सेवा करें तथा शनिवार के दिन पीपल वृक्ष में गुड़ डाल कर जल चढ़ाएं।


आठवें भाव में शनि का अशुभ फल
यदि शत्रु ग्रह के साथ शनि इस भाव में है तो भयानक अनिष्ट कर सकता है, धन की कमी रहती है तथा जातक के बचपन में ही माता-पिता की मृत्यु हो जाती है।
उपाय
चांदी का 50 ग्राम का चौकोर टुकड़ा घर में रखें, सोमवार के दिन चावल दान करें तथा चांदी की चेन में सिद्ध शनि यंत्र गले में धारण करें।


नवें भाव में शनि का अशुभ फल
जातक गरीब होता है, व्यवसाय में निरंतर हानि होती है तथा जातक को संतान देर से पैदा होती है।
उपाय
पीला रूमाल सदैव पास में रखें, वीरवार का व्रत रखें, पीला प्रसाद बांटे, सवा छ: रत्ती का पीला पुखराज सोने या ताम्बे की अंगूठी में जड़वा कर धारण करें तथा सिद्ध शनि महाकाल यंत्र गले में धारण करें।


दसवें भाव में शनि का अशुभ फल
जातक 27 वर्ष तक भाग्यहीन रहता है, व्यवसाय में हानि होती है तथा माता-पिता से अलग होकर रहना पड़ता है।
उपाय
अपने नाम से मकान न बनाएं, अंधे भिखारी को लड्डू दान करें तथा शनि मंत्र का जप करें और सिद्ध शनि यंत्र धारण करें।


ग्यारहवें भाव में शनि का अशुभ फल 
उधार दिया धन वापस नहीं मिलता, व्यवसाय में लाभ नहीं होता तथा शिक्षा अधूरी रह जाती है।
उपाय 
सिद्ध रौद्रांतक शनि यंत्र लेखक से मंगाकर धारन करें, शनिवार को शनि चालिसा का पाठ करें तथा शनि मंत्र का कम से कम एक माला प्रतिदिन पाठ करें।


बारहवें भाव में शनि का अशुभ फल 
आय से अधिक व्यय होता है, पिता का धन नष्ट हो जाता है तथा माता हर समय कष्ट में रहती है।
उपाय 
बारह बादाम काले कपड़े में बांधकर लोहे के पात्र में अंधेरी कोठरी में रखें तथा चार खड़कते नारियल नदी में प्रवाहित करें।
 

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