शुक्रवार, नन्दोत्सव और रोहिणी नक्षत्र का मेल लक्ष्मी जी भरेंगी आपकी खाली जेब

Friday, Aug 26, 2016 - 08:20 AM (IST)

दस महाविद्याओं में कमला दसवीं महाविद्या हैं। कमला ही लक्ष्मी हैं व महाविष्णु की शक्ति व सदाशिव की अधिष्ठात्री देवी हैं। कमला के भैरव ‘‘नारायण भैरव’’ हैं। कमला की कृपा के बिना जीवन कष्टप्रद, अभावग्रस्त व नर्क के समान है। दीर्घायु, धन, मान सम्मान व राज्यपद प्राप्त करने हेतु कमला ही सर्वश्रेष्ठ साधन है। कमला ही जगत पालन करती हैं। धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष इन चार पुरूषार्थो को प्राप्त करना ही सांसारिक प्राप्ति का ध्येय होता है व इनमें भी लोग अर्थ को अत्यधिक महत्व देते हैं। धार्मिक व ज्योतिषीय दृष्टि से धूमावती व कमला प्रतिस्पर्धी है। धूमावती ज्येष्ठा हैं तथा कमला कनिष्ठा है। धूमावती अवरोहिणी हैं व कमला रोहिणी हैं। शास्त्रों ने धूमावती को आसुरी व द्ररिद्रता माना है तथा कमला को दिव्या व लक्ष्मी माना है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार रोहिणी नक्षत्र के ठीक उलट अर्थात 180 अंश पर ज्येष्ठा नक्षत्र है। देवी की उत्पत्ति कार्तिक मास की अमावस्या व रोहिणी नक्षत्र मानी जाती हैं। इसी क्रम में श्रीकृष्ण की उत्पत्ति भी अष्टमी व रोहिणी नक्षत्र में मानी जाती है।
 
ज्योतिषशास्त्र के महूर्त खंड अनुसार शुक्रवार व रोहिणी नक्षत्र के साथ रत्नांकुर नामक लक्ष्मी योग बनता है। इस भौतिक जीवन में अगर लक्ष्मी का प्रभुत्व त्याग दें तो शेष शून्य रहता है। शुक्र दैत्यगुरु है व चंद्रमा संपत्ति का कारक हैं। शुक्र भोग व चंद्र धन देता हैं तथा दोनों परस्पर मित्र भी है। दोनों की श्रेष्ठता ही व्यक्ति को धन देकर, उसका भोग करता है। जब कभी शुक्र निशानाथ चंद्र से अच्छा संबंध बनाते हैं तो जीवन में अपार धन संग्रह होता है। इसी कारण शुक्र-चंद्र मिलकर लाटरी योग बनाते हैं। आकाश मंडल का चौथा नक्षत्र रोहिणी वृष राशि का मस्तक है। यह वृष राशि में चारों चरणों में रहता है। रोहिणी के देवता ब्रह्मदेव जी हैं। रोहिणी वृष राशि के 10 डिग्री 0''-1 से 23 डिग्री - 20''-0 के मध्य में स्थित हैं। इसका स्वामी चंद्रमा है। इसका योग सौभाग्य, स्त्री, शुभता और धन संपत्ति देता है। रोहिणी नक्षत्र में घी, दूध, रत्न की खरीद व उपयोग का बड़ा महत्व है। शास्त्रनुसार जैसे ही चंद्र रोहिणी के पास जाता है, उसका रूप अधिक खिल उठता है।
 
शुक्रवार दिनांक 26.08.16 को नन्दोत्सव का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन शुक्रवार है। चंद्रमा वृष राशि में गोचर करेगा तथा इस दिन रोहिणी नक्षत्र का चौथा चरण रहेगा। वृष राशि, शुक्रवार और चंद्रमा के नक्षत्र के मेल से प्रबल लक्ष्मी योग बन रहा है। नन्दोत्सव का संबंध श्रीकृष्ण के जन्म से है तथा इस दिन श्रीया अर्थात लक्ष्मी रूप में कमला स्वयं नारायण संग सबके भंडार भरतीं हैं तथा भरेंगी आपकी खाली जेब। इस दिन भगवान लक्ष्मी-नारायण का चित्र लाल कपड़े पर रखकर स्थापित करें। इसके पचकर षो षोडशौपचार से लक्ष्मी-नारायण का पूजन करें। इसके बाद हाथों में कमलगट्टे लेकर "श्रीं लक्ष्मी-नारायण नमः" मंत्र का यथासंभव जाप करें। इसके बाद यह कमलगट्टे लक्ष्मी-नारायण के चित्र पर चढ़ाकर अपनी तिजोरी में स्थापित करें।
 
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

 

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