आज से शुरू होगा अशुभ नक्षत्रों का दौर, 22 तक रहेगा प्रभाव

Thursday, Aug 18, 2016 - 10:40 AM (IST)

ज्योतिषशास्त्र में पंचक को मंगलसूचक नहीं माना जाता। पंचक के मात्र नाकारात्मक प्रभाव नहीं होते परंतु उसके सकारात्मक प्रभाव भी हैं। शुभ कार्यों, खास तौर पर देव पूजन में पंचक का विचार नहीं किया जाता। 
 
ज्योतिष विद्वानों के अनुसार जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि में रहता है उस समय को पंचक कहा जाता है। रामायणकाल में भगवान राम ने जब रावण का वध किया था, उस समय घनिष्ठा से रेवती तक जो पांच नक्षत्र (धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उतरा भाद्रपद एवं रेवती) उपस्थित थे उन्हें पंचक कहा जाता है। पुराणों के अनुसार जब रावण की मृत्यु हुई उसके बाद से ही पांच दिन का पंचक माना जाता है।
 
बहुत सारे विद्वान इन नक्षत्रों को शुभ नहीं मानते इसलिए इन 5 दिनों में शुभ काम नहीं किए जाते। आज 18 अगस्त को दोपहर औसत 12.47 से पंचक का आरंभ होगा, जो 22 अगस्त, सोमवार की रात औसत 08.11 तक रहेगा।
 
पंचक में न करें ये काम
* अंतिम संस्कार न करें अन्यथा परिवार में पांच मृत्यु और हो जाती हैं। पंचक दोष को समाप्त करने के लिए शव के साथ आटे या कुश के पांच पुतले बनाकर शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है।
* चारपाई न बनवाएं अन्यथा घर-परिवार पर मुसिबतों का कहर टूट पड़ता है।
* रेवती नक्षत्र हो तो घर की छत न बनाएं, घर में पैसों से जुड़ी समस्याएं और कलह रहता है।
* घनिष्ठा नक्षत्र में घास, लकड़ी आदि ईंधन इकट्टा न करें, आग का भय रहता है।
* दक्षिण दिशा में यात्रा न करें, माना जाता है की ये यम की दिशा है।
 
पंचक दोष दूर करने के उपाय-
* लकड़ी का समान खरीदना अनिवार्य होने पर गायत्री यज्ञ करें।
* दक्षिण दिशा की यात्रा अनिवार्य हो तो हनुमान मंदिर में पांच फल चढ़ाएं।
* मकान पर छत डलवाना अनिवार्य हो तो मजदूरों को मिठाई खिलाने के पश्चात छत डलवाएं।
* पलंग या चारपाई बनवानी अनिवार्य हो तो पंचक समाप्ति के बाद ही इस्तेमाल करें।
* शव का क्रियाकर्म करना अनिवार्य होने पर शव दाह करते समय कुशा के पंच पुतले बनाकर चिता के साथ जलाएं।  
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