जानें, कैसे हथेली से देखते हैं भाग्य, किन रेखाओं में छिपा है सुनहरी भविष्य

Monday, Nov 23, 2015 - 03:32 PM (IST)

हथेली में कई रेखाएं ऐसी होती हैं जिन्हें हम मुख्य रेखाएं तो नहीं कहते, परंतु उनका महत्व किसी भी प्रकार कम नहीं कहा जा सकता। इन रेखाओं का अध्ययन भी अपने आप में अत्यंत रोचक है। ये रेखाएं स्वतंत्र रूप से या किसी रेखा की सहायक बनकर अपना निश्चित प्रभाव मानव जीवन पर डालती हैं। इसी क्रम में कुछ वलय रेखाओं से संबंधित जानकारी इस प्रकार है : 

गुरुवलय 

तर्जनी उंगली को घेरने वाली अर्थात जो रेखा अद्र्धवृत्ताकार बनती हुई गुरु पर्वत को घेरती है, जिसका एक सिरा हथेली के बाहर की ओर तथा दूसरा सिरा तर्जनी और मध्यमा के बीच में जाता है, ऐसे वलय को गुरुवलय कहते हैं। ऐसी रेखा बहुत कम हाथों में देखने को मिलती है।

जिनके हाथों में ऐसी रेखा होती है वे जीवन में गंभीर तथा सुहृदय होते हैं, उनकी इच्छाएं जरूरत से ज्यादा बढ़ी-चढ़ी होती हैं, विद्या के क्षेत्र में वे अत्यंत सफलता प्राप्त करते हैं, परंतु इनमें यह कमी होती है कि वे अपने चारों ओर धन पूर्ण वातावरण बनाए रखते हैं तथा व्यर्थ की शान-शौकत दिखाते रहते हैं। वे जीवन में कम मेहनत से ज्यादा लाभ उठाने की कोशिश में रहते हैं, परंतु उनके प्रयत्न सदा सफल नहीं होते, जिससे आगे चलकर इनके जीवन में निराशा आ जाती है।

शनिवलय 

जब कोई अंगूठी के समान रेखा शनि के पर्वत को घेरती है और जिसका एक सिरा तर्जनी और मध्यमा के बीच में तथा दूसरा सिरा मध्यमा और अनामिका के बीच में जाता हो तो उसे ‘शनिवलय’ या ‘शनि मुद्रा’ कहते हैं। सामाजिक दृष्टि से ऐसा वलय शुभ नहीं कहा जा सकता क्योंकि जिस व्यक्ति के हाथ में ऐसी मुद्रा होती है वह वीतरागी, संन्यासी या एकांतप्रिय होता है। ऐसे व्यक्ति तंत्र साधना तथा मंत्र साधना के क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त करते देखे गए हैं। यदि शनिवलय की कोई रेखा भाग्य रेखा को स्पर्श नहीं करती तो वह व्यक्ति अपने उद्देश्यों में सफलता प्राप्त कर लेता है, परंतु यदि शनिवलय की कोई रेखा भाग्य रेखा को स्पर्श करती हो तो वह व्यक्ति जीवन में कई बार गृहस्थ बनता है और कई बार पुन: घर-बार छोड़कर संन्यासी बन जाता है। ऐसा व्यक्ति अपने किसी भी उद्देश्य में सफलता प्राप्त नहीं करता, ऐसे व्यक्ति के सभी कार्य अधूरे तथा अव्यवस्थित होते हैं तथा इंद्रियों के दास होते हैं।

जिनके भी हाथ में इस प्रकार का वलय होता है, वे निराशा प्रधान व्यक्ति होते हैं, उनको जीवन में किसी प्रकार का कोई आनंद नहीं मिलता।

रविवलय 

यदि कोई रेखा मध्यमा और अनामिका के बीच में से निकल कर सूर्य पर्वत को घेरती हुई अनामिका और कनिष्ठिका के बीच में जाकर समाप्त होती हो, तो ऐसी रेखा को ‘रविवलय’ या ‘रवि मुद्रा’ कहते हैं।

जिस व्यक्ति के हाथ में रवि मुद्रा होती है वह जीवन में बहुत ही सामान्य स्तर का व्यक्ति होता है, उसे जीवन में बार-बार असफलता का सामना करना पड़ता है। जरूरत से ज्यादा परिश्रम करने पर भी उसे कोई यश नहीं मिलता, अपितु यह देखा गया है कि जिनकी भी वह भलाई करता है या जिनको भी वह सहयोग देता है, उन्हीं की तरफ से उसको अपयश मिलता है। ऐसा वलय होने पर रवि पर्वत से संबंधित सभी फल विपरीतता में बदल जाते हैं।

ऐसे व्यक्ति को समझदार तथा सच्चरित्र होने पर भी अपयश का ही सामना करना पड़ता है और सामाजिक जीवन में उसे कलंकित होना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में निराश ही रहते हैं।

शुक्र वलय यदि कोई रेखा तर्जनी और मध्यमा से निकलकर शनि और सूर्य के पर्वतों को घेरती हुुई अनामिका तथा कनिष्ठिका उंगली के बीच में समाप्त होती हो तो ऐसी मुद्रा ‘शुक्र मुद्रा’  या ‘शुक्रवलय’ कहलाती है। जिनके हाथों में यह वलय होता है वे जीवन में कमजोर और परेशान ही रहते हैं। जिनके हाथों में ऐसी मुद्रा होती है वे स्नायु संबंधी रोगों से पीड़ित तथा अधिक से अधिक भौतिकतावादी होते हैं, इनके जीवन में बराबर मानसिक चिंताएं बनी रहती हैं और इन्हें अपने जीवन में सुख या शांति नहीं मिल पाती।

- यदि यह मुद्रा जरूरत से ज्यादा चौड़ी हो, तो ऐसा व्यक्ति अपने पूर्वजों का संचित धन समाप्त कर डालता है। ऐसा व्यक्ति प्रेम में उतावला तथा परस्त्रीगामी होता है जिसे जीवन में कई बार बदनामियों का सामना करना पड़ता है।

- यदि शुक्रवलय की रेखा पतली और स्पष्ट हो तो ऐसा व्यक्ति समझदार एवं परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको ढालने वाला होता है। ये व्यक्ति बातचीत में माहिर होते हैं तथा बातचीत के माध्यम से सामने वाले व्यक्ति को प्रभावित कर लेते हैं।

- यदि किसी के हाथ में एक से अधिक शुक्रवलय हों तो वह व्यक्ति कई स्त्रियों से शारीरिक संबंध रखने वाला होता है। इसी प्रकार किसी स्त्री के हाथ में ऐसा वलय हो, तो वह स्त्री कई पुरुषों से संपर्क रखती है।

- यदि शुक्र मुद्रा मार्ग में टूटी हो तो ऐसा व्यक्ति जीवन में अपने दुष्कर्मों के कारण पछताता है।

- यदि शुक्र मुद्रा से कोई रेखा निकलकर विवाह रेखा को काटती हो तो उसे जीवन में वैवाहिक सुख नहीं के बराबर मिलता है। कई बार विवाह होता ही नहीं।

- यदि शुक्र मुद्रा की रेखा आगे बढ़कर भाग्य रेखा को काटती हो तो वह व्यक्ति दुर्भाग्यशाली होता है।

- यदि शुक्रवलय पर द्वीप के चिन्ह हों तो वह व्यक्ति प्रेमिका के षड्यंत्र के फलस्वरूप मारा जाता है।

- यदि लम्बा अंगूठा हो तथा शुक्रवलय हो, तो ऐसे व्यक्ति कवि होते हैं परंतु वे अपने जीवन में बहुत अधिक ऊंचे नहीं उठ पाते।

- शुक्रवलय रखने वाले व्यक्ति रहस्यपूर्ण होते हैं। ऐसे व्यक्ति साहित्य प्रेमी तथा रचनात्मक कार्य करने वाले होते हैं।

- यदि सूर्य रेखा बढ़कर शुक्रवलय  को काटती हो तो वह व्यक्ति धूर्त एवं चरित्रहीन होता है।

- यदि शुक्रवलय का एक सिरा बुध पर्वत पर जाता हो तो वह व्यापार के माध्यम से सफलता प्राप्त करता है।

-  यदि शुक्रवलय कई छोटी-छोटी रेखाओं से कटता हो तो ऐसा व्यक्ति कामुक होता है।

- शुक्रवलय का सावधानीपूर्वक अध्ययन करना हस्त रेखा विशेषज्ञ के लिए बहुत अधिक जरूरी है।

बुधवलय 

यदि कोई रेखा अनामिका और कनिष्ठिका के बीच में से निकल कर बुध पर्वत को घेरती हुई हथेली के पार पहुंचे तो ऐसा वलय बुधवलय कहलाता है। ऐसा बुधवलय बुध के गुणों को कमजोर करता है। ऐसा व्यक्ति बाल्यावस्था में शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना करता है, यौवन में भी वह भौतिक सुख नहीं भोग पाता। आगे भी उसका पूरा जीवन दुखमय ही बना रहता है।

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