शुभ मुहूर्त पर करें अष्टमी, नवमी और दशहरा, पाएं अक्षय पुण्यों का लाभ

Tuesday, Oct 20, 2015 - 11:56 AM (IST)

भक्तों की आस्था का पर्व नवरात्र अब अपने अंतिम दौर में है चन्द्रमास की गणऩा के कारण इस बार नवरात्र दस दिन कि होने से लोगों के मन में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है की अष्टमी, नवमी और दशहरा कब मनाएं?

अष्टमी दिनांक 20 को दोपहर 02:22 मिनिट से 21 को दोपहर 01:29 तक रहेगी तत्पश्चात नवमी 22 को दोपहर 11:58 मिनिट तक रहेगी और फिर दशहरा प्रारम्भ होगा। अत: स्पष्ट है की महाष्टमी पूजन 21 को तथा महानवमी पूजन 22 को होगा यदि देवी गुरुवार को जाती हैं तो हाथी पर बैठ कर जाती हैं। जिससे सौभाग्य में वृद्धि होती है उसके बाद दशमी तिथि प्राम्भ हो जाएगी इसलिए इसी दिन दशहरा भी मनाया जाएगा।
 
दशहरे की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दशहरा दशन्द्रियों पर दश महाविद्याओं की आराधना करके विजय प्राप्ति के रूप में देखा जाता है इस दिन पशुसाधन एवं शस्त्र पूजन का भी विधान है जो दोपहर 12 बजे बाद अभिजित मुहूर्त, अपराह्न पूजा का समय 01:19 से 03:35 विजय मुहूर्त 02:04 से 02:50 बजे तक कर सकते हैं। शस्त्र पूजन में अलग-अलग शस्त्रों का अलग अलग मंत्रो द्वारा योग्य विद्वान द्वारा पूजन करवाना चाहिए। 

विशेष योग संयोग
21 को दोपहर 02:20 मिनट से 23 को दोपहर 12:02 मिनिट तक रवि योग रहेगा तथा बुध, राहु गोचर में अपनी उच्च राशि कन्या में होने से व्यापार, बाजार को नई ऊंचाईयों पर ले जाएगा शास्त्रों के अनुसार 21 अष्टमी बुधवार, उत्तराषाढ़ा और नवमी का सयोग बहुत श्रेष्ठ माना जाता है तथा नवमी तिथि में उत्तराषाढ़ा और गुरुवार का संयोग त्र्यलोक्य दुर्लभ सहयोग हो तो नवमी बड़े महत्व की मानी जाती हे जो की इस बार है इसमें अनेक प्रकार के पदार्थों से पूजा की जाए तो श्रेष्ठ महाफलदाई होती है।
  
यह करें विशेष
* दोपहर 12 बजे से पहले नवमी पूजा प्रारम्भ करें।
 
* दुर्गा/कुलदेवी का विशेष महापूजन करें।
 
* हवन, पूजन, विसर्जन करें।
 
* विशेष स्तोत्र कुंजिका, श्रीसूक्त, देवी कवच, अर्गला स्तोत्र का पाठ करें।
 
* सप्तशती एवं विशेष कामना पूर्ति के लिए मंत्रों का जाप करें।
 
* दोपहर 12 बजे के बाद शस्त्र पूजन करें।
 
* सूर्यास्त पूर्व रावण दहन करें।
 
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश्वर जोशी
someshjoshimca@gmail.com
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