ध्यान रखें ये बात, दैवीय शक्तियां स्वयं घर में आकर करेंगी निवास

Wednesday, Sep 30, 2015 - 04:15 PM (IST)

जब से धरती का अस्तित्व है तभी से व्यक्ति अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए देवी-देवताओं का पूजन करता आया है। मानवीय इच्छाओं को पूरा करने की शक्ति केवल भगवान के पास ही है। बहुत से लोगों के साथ ऐसा होता है कड़ी मेहनत करने के बाद भी उसका उचित प्रतिफल नहीं मिल पाता। जिससे उनके जीवन में तनाव बढ़ता जाता है। शास्त्रों के अनुसार कुछ बातों का ध्यान रखने से दैवीय शक्तियां स्वयं घर में आकर निवास करती हैं जिससे कोई बाधा मुसीबत अपना सिर नहीं उठा पाती और व्यक्ति सुखी एवं समृद्ध जीवन व्यतित करता है। 
 
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शास्त्र कहते हैं-
 
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्रफला: क्रिया।।
 
अर्थात जिस घर में महिलाओं का आदर होता है, वहां देवी-देवता वास करते हैं। जिन घरों में महिलाओं का मान नहीं होता वहां कोई भी धार्मिक कार्य फलीभूत नहीं होता। वहां सदा अलक्ष्मी का वास रहता है और घर के लोग कभी तरक्की नहीं कर सकते।
 
पिता रक्षति कौमारे भर्ता रक्षति यौवने।
रक्षन्ति स्थविरे पुत्रा न स्त्री स्वातन्त्रमर्हति।।
 
अर्थात बचपन में महिला की रक्षा पिता करते हैं, विवाह उपरांत पति और वृद्धावस्था में पुत्र। जो पुरूष ऐसा नहीं करता वो अपने साथ-साथ कुल के भी नाश का कारण बनता है।
 
(वर्तमान समय में पुत्र और पुत्री में कोई अंतर नहीं है। पुत्री भी वृद्धावस्था में अपनी मां की पुत्र की भांति ही देखभाल करती है।) 
 
 
नास्ति स्त्रीणां पृथग्यज्ञो न व्रतं नाप्युपोषणम्।
पित शुश्रूषते येन तेन स्वर्गे महीयते।।
 

अर्थात विवाहित महिलाओं को अपने पति के साथ मिलकर ही धार्मिक काम करना चाहिए। पति-पत्नि एक दूसरे के बिना कोई भी पूजन करते हैं तो उन्हें केवल पुण्य प्राप्त होता है लेकिन जब वो मिलकर करेंगे तो अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी।  

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