कैसे पाएं कर्ज़ों से छुटकारा

punjabkesari.in Wednesday, Jul 01, 2015 - 02:22 PM (IST)

ऋण या कर्जा कब लें?
किसी भी प्रकार का ऋण या कर्जा लेना हो तो सर्वप्रथम ध्यान रखें कि मंगलवार के दिन न तो आवेदन करें न ही ऋण प्राप्त करें और न ही कोई लोन एग्रीमैंट साइन करें । इस दिन लिया गया ऋण उतरने का नाम ही नहीं लेता । कई बार नौबत मुकद्दमेबाजी तक पहुंच जाती है । इसी प्रकार वृद्धि नामक योग हो अथवा संक्रान्ति हो तो भी लोन नहीं लेना चाहिए । ऐसे समय लिया गया ऋण मंहगाई की तरह बढ़ता ही चला जाता है ।

रविवार को अमृत सिद्ध योग बनता हो तो भी ऋण चुकाने में परेशानी होती है। हस्त नक्षत्र चल रहा हो तो भी लौटाने में दिक्कत आती है । द्विपुष्कर, त्रिपुष्कर योगों में भी ऐसी हालत से बचें । स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, मृगाशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा, अश्विनी, पुष्य एवं विषाखाइन नक्षत्रों के समय लिया गया ऋण फलदायक रहता है और उसका भुगतान शीघ्र हो जाता है।इसके अतिरिक्त चर लग्न अर्थात 147.10 मेष,कर्क, तुला, व मकर में ऋण लेना लाभकारी रहता है । इस अवधि में बीमा पालिसी लेना भी अच्छा है । 

जिन नक्षत्रों में ऋण लेना खराब है, उनमें लौटाना अधिक अच्छा रहता है । यदि आप किसी को ऋण देना चाहते हैं तो बुधवार को न दें मंगलवार को दें । बैंक, डाकखाने या किसी वित्तीय संस्था में फिक्सड डिपाजिट करवाना हो या नया खाता खोलना हो बुधवार एवं वीरवार का दिन चुनें । ऋण लौटाने के लिए बुधवार शुभ दिन है ।

वर्तमान समय में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसे ऋण न लेना पड़े । चाहे मजदूर को रिक्शा लेना पड़े या उद्योगपति को मशीनरी खरीदनी पड़े, बेघर को मकान खरीदना पड़े, कोई रोजगार करना  हो, पढ़ाई करनी हो, वाहन लेना हो , उच्च शिक्षा प्राप्त करनी हो  या विदेश भ्रमण करना हो, कहीं न कहीं ऋण का सहारा लेना ही पड़ता है।क्रैडिट कार्डों के चलन ,लोन ऑन फोन, सरकारी लुभावने नारे , जीरो पर्सैंट ब्याज पर इजी लोन की व्यवस्था, घर-घर कमेटियों की भेड़ चाल हर किसी को ऋण लेने के लिए आकर्षित करती है।

यदि अच्छे मुहूर्त में ऋण लिया जाए तो उसकी अदायगी भी सुविधाजनक रहती है और ऋण का भुगतान भी जल्दी निपट जाता है परंतु कर्ज लेना जितना आसान है  चुकाना उससे भी कठिन । यहां हम ज्योतिष के कुछ आजमाए हुए योग दे रहे हैं जिनका पाठक लाभ उठा सकते हैं। 

कौन ऋण से बचें ?
जिनकी कुंडली में छठे भाव का स्वामी लग्न में विराजमान हो या किसी शुभ स्थान पर बैठा हो, उसका कर्जा बढ़ता जाता है। एक ऋण चुकाने के लिए, दूसरा लेना पड़ता है। व्यक्ति सारी उम्र ऋण के बोझ तले दबा रहता है। दादा लेता है पोता ही चुकाता है।  कुंडली में शनि या राहू की स्थिति अच्छी न हो तो साढ़ेसाती और राहू की दशा में न लें  और कालसर्प योग हो  तो भी ऋण लेने से बचना चाहिए क्योंकि ऐसे योग ऋण और शत्रु दोनों ही बढ़ा देते हैं। यदि जन्मपत्री में गुरु लग्न, सप्तम या दशम भाव में हो तो किसी को उधार नहीं देना चाहिए। पैसा लौटता नहीं उल्टा लेने वाला दुश्मन बन जाता है। पैसा भी गया और दोस्त भी। उधार प्रेम की कैंची बन जाती है। 

—मदन गुप्ता सपाटू


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