द्रमुक ने तमिलिसाई प्रकरण को लेकर राज्यपालों पर साधा निशाना

punjabkesari.in Tuesday, Sep 13, 2022 - 09:15 PM (IST)

चेन्नई, 13 सितंबर (भाषा) तमिलनाडु में सत्तारूढ़ दल द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने कल्याणकारी पहलों और कानूनों पर राज्यों के साथ टकराव के लिए राज्यपालों के खिलाफ तीखा हमला किया। पार्टी ने आगाह किया कि ऐसे लोगों का भी वैसा ही हश्र होगा जैसा तेलंगाना की राज्यपाल डॉ. तमिलिसाई सुंदरराजन का हुआ।

द्रमुक के मुखपत्र ‘मुरासोली’ में की गई टिप्पणियों का सुंदरराजन ने कड़ा खंडन किया है। सुंदरराजन ने हाल में आरोप लगाया था कि तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) नीत सरकार द्वारा उन्हें ‘अपमानित’ किया गया और उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है।

सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का कथित रूप से साथ नहीं देने के लिए तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि के प्रति एतराज जताते हुए, ‘मुरासोली’ के एक लेख में कहा गया है कि राज्यपालों को विधिवत चुनी हुई सरकारों के साथ टकराव से बचना चाहिए।

सत्तारूढ़ द्रमुक और राज्यपाल रवि का पूर्व में तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को लेकर टकराव हुआ था जिसमें राज्य को नीट से छूट देने की मांग की गई थी।

आलेख में कहा गया है, ‘‘यदि विधानसभा में पारित विधेयकों को राष्ट्रपति की सहमति के लिए नहीं भेजा जाता है तो कोई भी निर्वाचित सरकार इसे बर्दाश्त नहीं करेगी। राज्यपालों को जनहितैषी पहल के आड़े नहीं आना चाहिए।’’ साथ ही, आगाह किया गया कि विकास में बाधा डालने वाले राज्यपालों का भी वही हश्र होगा जो सुंदरराजन का हुआ।

आलेख में दावा किया गया है कि तेलंगाना सरकार ने सुंदरराजन को विधानसभा को संबोधित करने के अवसर से वंचित कर दिया। आलेख में कहा गया कि तमिलनाडु के राज्यपाल के साथ भी ऐसी ही स्थिति है, अगर वे अपनी संवैधानिक शक्तियों को पार करने का प्रयास करेंगे तो उनके साथ भी ऐसा ही होगा।

एक अन्य आलेख में, ‘मुरासोली’ ने रवि पर राष्ट्रीय प्रवेश-सह-पात्रता परीक्षा (नीट) पर केंद्र को गुमराह करने का आरोप लगाया और दावा किया कि अगर उन्हें जमीनी हकीकत पता होती तो उन्होंने अपना विचार बदल दिया होता।

आलेख पर प्रतिक्रिया जताते हुए, सुंदरराजन ने कहा कि तेलंगाना सरकार द्वारा कुछ मुद्दों पर उनका अपमान किया गया लेकिन ‘‘इसका मतलब यह नहीं है कि मैं उन चीजों के बारे में शोर मचाती रहूं।’’
‘मुरासोली’ के आलेख के बारे में पूछे जाने पर सुदरराजन ने तिरुचिरापल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरा कभी अपमान नहीं हुआ। मैं इस बात से हैरान हूं कि तमिलनाडु में कोई कैसे खुशी मना सकता है, जब उनकी बहन का दूसरे राज्य में अपमान किया जाता है। यह सही मानसिकता नहीं है।’’


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