पनीरसेल्वम ने पलानीस्वामी से मिलकर काम करने का आह्वान किया, ईपीएस ने पेशकश ठुकराई

punjabkesari.in Thursday, Aug 18, 2022 - 06:21 PM (IST)

चेन्नई, 18 अगस्त (भाषा) अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के नेता ओ. पनीरसेल्वम (ओपीएस) ने बृहस्पतिवार को अपने प्रतिद्वंद्वी एडप्पादी के पलानीस्वामी (ईपीएस) से ‘‘बीती बातों को भूल जाने’’ की अपील करते हुए पार्टी को एक साथ मिलकर चलाने का आह्वान किया।
हालांकि पलानीस्वामी ने ओपीएस के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और उनके साथ किसी भी तरह का कोई संबंध रखने से इनकार किया और 2021 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया।

पलानीस्वामी ने पन्नीरसेल्वम के प्रस्ताव को खारिज करने के लिए कई कारणों को सूचीबद्ध किया, जिनमें से एक कारण पिछले महीने यहां पार्टी मुख्यालय पर हमले के पीछे ओपीएस का हाथ होने का आरोप है।

पलानीस्वामी ने बुधवार को एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ मद्रास उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसने अन्नाद्रमुक की आम परिषद के 11 जुलाई के प्रस्तावों को वैध घोषित नहीं किया।

पनीरसेल्वम को 11 जुलाई को आम परिषद की बैठक में पार्टी से ''निष्कासित'' कर दिया गया था और ई. के. पलानीस्वामी को उसका प्रमुख चुना गया था।
ओपीएस ने बताया कि पहले के दोहरे नेतृत्व के साथ कभी कोई समस्या नहीं थी, लेकिन उन्होंने कहा कि दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता की अनुपस्थिति में पार्टी को चलाने के लिए ‘‘संयुक्त नेतृत्व’’ की व्यवस्था की गई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘अम्मा (जयललिता) की मृत्यु के बाद (दिसंबर 2016 में), प्यारे भाई पलानीस्वामी मुख्यमंत्री बने और हमने अच्छा सहयोग करते हुए एक साथ मिलकर काम किया। हमारे द्वारा कई लोकतांत्रिक कर्तव्यों का निर्वहन किया गया।’’
उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘अम्मा की मृत्यु के बाद, धर्मयुद्ध (उनके द्वारा अपदस्थ नेता वी. के. शशिकला और उनके परिवार के खिलाफ) शुरू किया गया था और पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की इच्छा के अनुसार, यह एक नीति के रूप में तय किया गया था कि अन्नाद्रमुक संयुक्त नेतृत्व में काम करेगी।’’
पनीरसेल्वम ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, समन्वयक (ओपीएस) और संयुक्त समन्वयक (ईपीएस) पद सृजित किये गये थे।

पनीरसेल्वम पर निशाना साधते हुए पलानीस्वामी ने कहा कि उनके प्रतिद्वंद्वी अक्सर इस तरह के निमंत्रण देते हैं।

उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘उन्होंने किसके विरुद्ध धर्मयुद्ध किया। वह अब उन सभी को आमंत्रित कर रहे हैं। वह पद चाहते हैं, इसके बिना नहीं रह सकते। वह उनके लिए संघर्ष नहीं करते, बल्कि अपने और अपने परिवार के लिए पद चाहते हैं।’’
मद्रास उच्च न्यायालय ने अन्नाद्रमुक की 11 जुलाई को आयोजित की गई आम परिषद के संबंध में 23 जून की यथास्थिति बनाये रखने का बुधवार को आदेश दिया था।


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