अन्नाद्रमुक की लड़ाई चुनाव आयोग और बैंक पहुंची

Tuesday, Jul 12, 2022 - 08:51 PM (IST)

चेन्नई, 12 जुलाई (भाषा) अन्नाद्रमुक के अपदस्थ नेता ओ पनीरसेल्वम और पार्टी के अंतरिम प्रमुख ई पलानीस्वामी के बीच की लड़ाई अब चुनाव आयोग और बैंकों तक पहुंच गई है, जहां दोनों पक्ष अपना-अपना दावा साबित करने की कोशिशों में जुटे हैं।

अंतरिम महासचिव पलानीस्वामी ने जहां चुनाव आयोग को पत्र लिखकर 11 जुलाई को हुई आम परिषद की बैठक और उसमें लिए गए फैसलों से अवगत कराया है। वहीं, पनीरसेल्वम ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर दलील दी है कि संबंधित बैठक और उसमें लिए गए निर्णय बेमानी हैं।
बैठक में पलानीस्वामी को जहां अंतरिम महासचिव के पद पर पदोन्नत किया गया था, वहीं पनीरसेल्वम और उनके दो समर्थकों को पार्टी के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय से बाहर निकाल दिया गया था।

पार्टी सूत्रों ने बताया कि पनीरसेल्वम ने बैंकों को भी पत्र लिखा है और दावा किया है कि वह अन्नाद्रमुक के ‘समन्वयक एवं कोषाध्यक्ष’ हैं तथा उनकी अनुमति के बिना कोई भी लेन-देन नहीं किया जा सकता है।
ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के कम से कम दो बैंकों में सावधि जमा सहित विभिन्न खाते हैं।

उधर, पलानीस्वामी ने बैंकों को पत्र लिखकर कहा है कि अन्नाद्रमुक के दिग्गज नेता एवं पूर्व मंत्री डिंडीगुल सी श्रीनिवासन को पार्टी का नया कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वह अन्नाद्रमुक के संचालन सचिव और डिंडीगुल (पश्चिम) के जिला सचिव भी हैं।

पनीरसेल्वम के वफादार वैथीलिंगम ने संवाददाताओं से कहा, “पार्टी के प्राथमिक सदस्यों ने तय मानदंडों के तहत एकल वोट के जरिये ओ पनीरसेल्वम को समन्वयक और पलानीस्वामी को संयुक्त समन्वयक चुना था, जिसे आम परिषद द्वारा रद्द नहीं किया जा सकता है। दोनों का कार्यकाल पांच वर्षों के लिए है। 11 जुलाई को हुई आम परिषद की बैठक में पारित एक भी प्रस्ताव मान्य नहीं है।”
वैथीलिंगम ने कहा कि पनीरसेल्वम पार्टी के ‘समन्वयक’ एवं ‘कोषाध्यक्ष’ पद पर बरकरार हैं और चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के मुताबिक भी यह आधिकारिक स्थिति है।

उन्होंने बताया कि निर्वाचन अधिकारियों को इस पहलू को रेखांकित करने वाला एक पत्र भेजा गया है और उनसे पलानीस्वामी गुट की दलीलों को स्वीकार न करने का आग्रह किया गया है।

वैथीलिंगम ने पलानीस्वामी के समर्थकों के इस दावे को खारिज किया कि पनीरसेल्वम के वफादारों ने पहले हिंसा शुरू की थी। उन्होंने कहा कि पलानीस्वामी के समर्थक इलाके में पांच दिनों के लिए आए थे और उन्होंने यह कहते हुए हिंसा फैलाई थी कि वे हर कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार हैं।

अन्नाद्रमुक की दिवंगत प्रमुख जे जयललिता की विश्वासपात्र वी के शशिकला, जो खुद पार्टी पर नियंत्रण हासिल करने की कोशिशों में जुटी हैं, उन्होंने कहा कि अन्नाद्रमुक का मौजूदा घटनाक्रम एक बहुत बड़ा मजाक है।

शशिकला के मुताबिक, अन्नाद्रमुक के इतिहास में इसके उपनियमों में इतनी बार संशोधन कभी नहीं किया गया है, वो भी एक साल के भीतर।

भाई वी दिवाकरन के नेतृत्व वाले संगठन के अपनी अगुवाई वाली टीम के साथ विलय के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में शशिकला ने समर्थकों से कहा, “वे जो कुछ भी कर रहे हैं, कानूनी रूप से मान्य नहीं होगा। मैं आपको बताना चाहूंगी कि जल्द ही एक अच्छा समाधान निकलकर आएगा।”
शशिकला ने कहा कि उनकी एकमात्र महत्वाकांक्षा सभी को ‘एकजुट’ करना और पार्टी को जीत की ओर ले जाना है।
अम्मा मक्कल मुनेत्र कषगम टीटीवी दिनाकरन के नेतृत्व वाला एक अलग संगठन है, जो शशिकला और दिवाराकन के भतीजे हैं।

दिसंबर 2021 में अन्नाद्रमुक ने दोहरे नेतृत्व ढांचे को मजबूत करने के लिए अपने उपनियमों में बदलाव किया था। पार्टी ने 11 जुलाई को इस बदलाव को रद्द करते हुए पलानीस्वामी को अंतरिम प्रमुख के रूप में नियुक्त किया था।
राजनीतिक टिप्पणीकार एम भरत कुमार ने कहा कि उभरता परिदृश्य अपेक्षित तर्ज पर है।
उन्होंने कहा, “मामला अब चुनाव आयोग के पास है। जैसा कि हमने अतीत में देखा है, अधिकारी इस मामले पर गौर फरमाएंगे और किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले पलानीस्वामी या पनीरसेल्वम या फिर उन दोनों से ही स्पष्टीकरण मांग सकते हैं।”
कुमार के अनुसार, इसके अलावा अब जबकि चेन्नई में पार्टी मुख्यालय को सील कर दिया गया है और हिंसा के लिए दोनों पक्षों के कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं तो ऐसे में अगले कुछ दिनों तक पनीरसेल्वम और पलानीस्वामी गुट के बीच जुबानी जंग देखने को मिल सकती है। कुमार ने कहा कि पार्टी से जुड़े मामले अदालत में भी जा सकते हैं।



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PTI News Agency

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