अन्नाद्रमुक की बैठक पर रोक लगाने से अदालत का इनकार
Friday, Jun 17, 2022 - 09:48 AM (IST)
चेन्नई, 16 जून (भाषा) चेन्नई की एक अदालत ने शहर में 23 जून को अन्नाद्रमुक की होने वाली आम परिषद की बैठक पर रोक लगाने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया।
उच्च न्यायालय परिसर स्थित शहर की दीवानी अदालत से जुड़े चौथे सहायक न्यायाधीश ने कोई स्थगन देने से इनकार कर दिया। उन्होंने मामले में पक्षकारों को अपने-अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करने का निर्देश देने के बाद मामले की सुनवायी 22 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।
डिंडीगुल जिले के अविलीपट्टी गांव के एस सूर्यमूर्ति ने बैठक को रोकने के लिए शहर की दीवानी अदालत में याचिका दायर की थी। उन्होंने दलील दी कि न तो ओ पनीरसेल्वम और न ही ई. के. पलानीसामी को 23 जून को बैठक आयोजित करने का हक हैं जिन्हें 2017 में हुई एक बैठक में एआईएडीएमके के क्रमशः समन्वयक और संयुक्त समन्वयक के रूप में निर्वाचित घोषित किया गया था क्योंकि उनका चुनाव ही अवैध और पार्टी के संविधान के खिलाफ था।
उन्होंने दावा किया कि किसी भी दीवानी अदालत ने उनके चुनाव के लिए अपनी मंजूरी की मुहर नहीं लगायी है। उन्होंने दावा किया कि यहां तक कि भारत के निर्वाचन आयोग ने भी इसके लिए कोई अनुज्ञा नहीं दी। उन्होंने कहा कि 23 जून की बैठक पार्टी के संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है और इसलिए इस पर रोक लगाई जानी चाहिए।
याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए पन्नीरसेल्वम और पलानीसामी ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास याचिका दायर करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वह अब पार्टी के मूल सदस्य नहीं हैं।
मामले में शामिल तात्कालिकता को देखते हुए सूर्यमूर्ति के उनके मामले की सुनवाई के अनुरोध को ठुकराते हुए, पीठासीन अधिकारी प्रिया ने पक्षों को अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करने का निर्देश देने के बाद इसकी सुनवायी 22 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उच्च न्यायालय परिसर स्थित शहर की दीवानी अदालत से जुड़े चौथे सहायक न्यायाधीश ने कोई स्थगन देने से इनकार कर दिया। उन्होंने मामले में पक्षकारों को अपने-अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करने का निर्देश देने के बाद मामले की सुनवायी 22 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।
डिंडीगुल जिले के अविलीपट्टी गांव के एस सूर्यमूर्ति ने बैठक को रोकने के लिए शहर की दीवानी अदालत में याचिका दायर की थी। उन्होंने दलील दी कि न तो ओ पनीरसेल्वम और न ही ई. के. पलानीसामी को 23 जून को बैठक आयोजित करने का हक हैं जिन्हें 2017 में हुई एक बैठक में एआईएडीएमके के क्रमशः समन्वयक और संयुक्त समन्वयक के रूप में निर्वाचित घोषित किया गया था क्योंकि उनका चुनाव ही अवैध और पार्टी के संविधान के खिलाफ था।
उन्होंने दावा किया कि किसी भी दीवानी अदालत ने उनके चुनाव के लिए अपनी मंजूरी की मुहर नहीं लगायी है। उन्होंने दावा किया कि यहां तक कि भारत के निर्वाचन आयोग ने भी इसके लिए कोई अनुज्ञा नहीं दी। उन्होंने कहा कि 23 जून की बैठक पार्टी के संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है और इसलिए इस पर रोक लगाई जानी चाहिए।
याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए पन्नीरसेल्वम और पलानीसामी ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास याचिका दायर करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वह अब पार्टी के मूल सदस्य नहीं हैं।
मामले में शामिल तात्कालिकता को देखते हुए सूर्यमूर्ति के उनके मामले की सुनवाई के अनुरोध को ठुकराते हुए, पीठासीन अधिकारी प्रिया ने पक्षों को अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करने का निर्देश देने के बाद इसकी सुनवायी 22 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।
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