तमिलनाडु में संतुलित विकास के लिए प्रयास करें: मुख्यमंत्री ने योजना आयोग से कहा
punjabkesari.in Wednesday, Jan 19, 2022 - 08:47 AM (IST)

चेन्नई, 18 जनवरी (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मंगलवार को राज्य योजना आयोग (एसपीसी) से उचित रणनीति विकसित करने का आह्वान किया, जो न सिर्फ जरूरत-आधारित हो, बल्कि विकास को भी गति दे सके ताकि राज्य में सभी दिशाओं में संतुलित विकास सुनिश्चित कर सकें।
मुख्यमंत्री ने यहां एझिलगाम में राज्य योजना आयोग के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि तमिलनाडु कई मायनों में एक उन्नत राज्य है, खासकर विकास परियोजनाओं और सामाजिक सुधार के संयोजन में इसकी उपलब्धि है मगर संतुलित विकास के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “ हमें मानव संसाधन विकास, जीवन की गुणवत्ता, जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, बाल विकास, गरीबी उन्मूलन, कल्याण, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय सहित सभी दिशाओं में उन्नत बनना चाहिए।”
मुख्यमंत्री एसपीसी के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार तमिलनाडु में इन दिशाओं में सुधार के लिए रचनात्मक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है और आयोग से इसके लिए दिशानिर्देश लाने को कहा।
स्टालिन ने कहा, “पर्यटन, छोटे व्यवसायों, हस्तशिल्प और हथकरघा जैसे क्षेत्रों के माध्यम से आय उत्पन्न करने के लिए तंत्र तैयार किया जाना चाहिए। व्यवसाय मॉडल आर्थिक रूप से व्यवहार्य होने चाहिए और रोजगार सृजित करने वाले होने चाहिए।”
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
मुख्यमंत्री ने यहां एझिलगाम में राज्य योजना आयोग के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि तमिलनाडु कई मायनों में एक उन्नत राज्य है, खासकर विकास परियोजनाओं और सामाजिक सुधार के संयोजन में इसकी उपलब्धि है मगर संतुलित विकास के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “ हमें मानव संसाधन विकास, जीवन की गुणवत्ता, जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, बाल विकास, गरीबी उन्मूलन, कल्याण, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय सहित सभी दिशाओं में उन्नत बनना चाहिए।”
मुख्यमंत्री एसपीसी के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार तमिलनाडु में इन दिशाओं में सुधार के लिए रचनात्मक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है और आयोग से इसके लिए दिशानिर्देश लाने को कहा।
स्टालिन ने कहा, “पर्यटन, छोटे व्यवसायों, हस्तशिल्प और हथकरघा जैसे क्षेत्रों के माध्यम से आय उत्पन्न करने के लिए तंत्र तैयार किया जाना चाहिए। व्यवसाय मॉडल आर्थिक रूप से व्यवहार्य होने चाहिए और रोजगार सृजित करने वाले होने चाहिए।”
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