विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र की नौकरियों में लैंगिक विभाजन को पाटना समय की जरूरत :उप राष्ट्रपति
Tuesday, Jan 05, 2021 - 09:00 PM (IST)
चेन्नई, पांच जनवरी (भाषा) उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र की नौकरियों में महिलाओं के अपेक्षाकृत कम प्रतिनिधित्व पर चिंता जताई और हालात में सुधार के लिए कदम उठाने की जरूरत बताई।
नायडू ने एक समारोह में कहा कि देश में एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) स्नातकों में करीब 40 प्रतिशत महिलाएं हैं, जो दुनिया में सर्वाधिक संख्या है, लेकिन विज्ञान और प्रौद्योगिकी के रोजगारों में महिलाओं की हिस्सेदारी महज 14 प्रतिशत है।
उन्होंने यहां गणितीय विज्ञान संस्थान के नये आवासीय परिसर का डिजिटल उद्घाटन करने के बाद कहा, ‘‘एसटीईएम से संबंधित रोजगार के क्षेत्र में चिंता का प्रमुख विषय महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व है। एसटीईएम में विविधता पूरी तरह जरूरी है और समय की जरूरत है कि रोजगार में लैंगिक विभाजन को पाटा जाए।’’
नायडू ने कहा, ‘‘हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र की नौकरियों में महिलाओं की बहुत कम भागीदारी को देखना चाहिए और हालात को तेजी से सुधारने के लिए कदम उठाने चाहिए।’’
विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा को मजबूत करने पर उप राष्ट्रपति ने कहा कि सरकारी वित्तपोषण से परे देखना होगा और निजी क्षेत्र के पास भी संस्थानों के साथ साझेदारी करने और वित्तीय मदद करने के लिए समान अवसर हैं और उनकी जिम्मेदारी है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
नायडू ने एक समारोह में कहा कि देश में एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) स्नातकों में करीब 40 प्रतिशत महिलाएं हैं, जो दुनिया में सर्वाधिक संख्या है, लेकिन विज्ञान और प्रौद्योगिकी के रोजगारों में महिलाओं की हिस्सेदारी महज 14 प्रतिशत है।
उन्होंने यहां गणितीय विज्ञान संस्थान के नये आवासीय परिसर का डिजिटल उद्घाटन करने के बाद कहा, ‘‘एसटीईएम से संबंधित रोजगार के क्षेत्र में चिंता का प्रमुख विषय महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व है। एसटीईएम में विविधता पूरी तरह जरूरी है और समय की जरूरत है कि रोजगार में लैंगिक विभाजन को पाटा जाए।’’
नायडू ने कहा, ‘‘हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र की नौकरियों में महिलाओं की बहुत कम भागीदारी को देखना चाहिए और हालात को तेजी से सुधारने के लिए कदम उठाने चाहिए।’’
विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा को मजबूत करने पर उप राष्ट्रपति ने कहा कि सरकारी वित्तपोषण से परे देखना होगा और निजी क्षेत्र के पास भी संस्थानों के साथ साझेदारी करने और वित्तीय मदद करने के लिए समान अवसर हैं और उनकी जिम्मेदारी है।
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