कोलकाता के रबींद्र सरोवर पर हवन करने पर रोक नहीं : एनजीटी
punjabkesari.in Saturday, May 27, 2023 - 11:48 AM (IST)

नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण(एनजीटी) ने कहा है कि कोलकाता में रबींद्र सरोवर और उसके आसपास पूजा पर रोक लगाने के उसके पहले के आदेश में झील पर हवन करने को लेकर रोक नहीं थी।
एनजीटी 15 नवंबर, 2017 के आदेश में अधिकरण के पहले के निर्देशों में रबींद्र सरोवर में हवन करने पर रोक लगाने के बारे में स्पष्टीकरण मांगने वाले एक आवेदन पर सुनवाई कर रहा था।
एनजीटी के पहले के आदेश को ध्यान में रखते हुए, अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.के. गोयल की पीठ ने कहा कि अधिकरण ने कचरा डालने के खिलाफ रबींद्र सरोवर के पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे का निस्तारण किया था और हवन पर प्रतिबंध नहीं लगाया था, जो किसी भी तरह से झील या उसके पानी की गुणवत्ता को प्रभावित नहीं कर सकता।
पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल भी शामिल थे। पीठ ने कहा, “अधिकरण के आदेश के अनुसार, झील के भीतर और उसके आसपास पूजा करने सहित कोई भी गतिविधि, जो पर्यावरण या पानी की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है, सख्त वर्जित है, हालांकि हवन करने पर कोई रोक नहीं है जिससे झील के पानी की गुणवत्ता को कोई नुकसान नहीं होता।”
अधिकरण ने कहा, “हम तदनुसार स्थिति स्पष्ट करते हैं। हालांकि, अगर पर्यावरण नियमों का कोई उल्लंघन होता है तो पीड़ित पक्ष इस न्यायाधिकरण से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र होगा।”
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
एनजीटी 15 नवंबर, 2017 के आदेश में अधिकरण के पहले के निर्देशों में रबींद्र सरोवर में हवन करने पर रोक लगाने के बारे में स्पष्टीकरण मांगने वाले एक आवेदन पर सुनवाई कर रहा था।
एनजीटी के पहले के आदेश को ध्यान में रखते हुए, अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.के. गोयल की पीठ ने कहा कि अधिकरण ने कचरा डालने के खिलाफ रबींद्र सरोवर के पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे का निस्तारण किया था और हवन पर प्रतिबंध नहीं लगाया था, जो किसी भी तरह से झील या उसके पानी की गुणवत्ता को प्रभावित नहीं कर सकता।
पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल भी शामिल थे। पीठ ने कहा, “अधिकरण के आदेश के अनुसार, झील के भीतर और उसके आसपास पूजा करने सहित कोई भी गतिविधि, जो पर्यावरण या पानी की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है, सख्त वर्जित है, हालांकि हवन करने पर कोई रोक नहीं है जिससे झील के पानी की गुणवत्ता को कोई नुकसान नहीं होता।”
अधिकरण ने कहा, “हम तदनुसार स्थिति स्पष्ट करते हैं। हालांकि, अगर पर्यावरण नियमों का कोई उल्लंघन होता है तो पीड़ित पक्ष इस न्यायाधिकरण से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र होगा।”
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