केन्द्र सरकार ने दिल्ली में ‘ग्रुप-ए’ अधिकारियों के तबादले, पदस्थापन पर अध्यादेश जारी किया
punjabkesari.in Saturday, May 20, 2023 - 12:54 AM (IST)

नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) केन्द्र सरकार ने ‘दानिक्स’ कैडर के ‘ग्रुप-ए’ अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए ‘राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण’ गठित करने के उद्देश्य से शुक्रवार को एक अध्यादेश जारी किया।
गौरतलब है कि अध्यादेश जारी किये जाने से महज एक सप्ताह पहले ही उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया है।
दिन में, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि केन्द्र उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने के लिए अध्यादेश जारी करने की योजना बना रही है।
अध्यादेश में कहा गया है कि ‘‘राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्रधिकरण नाम का एक प्राधिकरण होगा, जो उसे प्रदान की गई शक्तियों का उपयोग करेगा और उसे सौंपी गई जिम्मेदारियों का निर्वहन करेगा।
प्राधिकरण में दिल्ली के मुख्यमंत्री उसके अध्यक्ष होंगे। साथ ही, इसमें मुख्य सचिव और प्रधान सचिव (गृह) सदस्य होंगे।
अध्यादेश में कहा गया है, ‘‘प्राधिकरण द्वारा तय किए जाने वाले सभी मुद्दों पर फैसले उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से होगा। प्राधिकरण की सभी सिफारिशों का सदस्य सचिव सत्यापन करेंगे।’’
अध्यादेश में कहा गया है कि प्राधिकरण उसके अध्यक्ष की मंजूरी से सदस्य सचिव द्वारा तय किए गए समय और स्थान पर बैठक करेंगे।
अध्यादेश में कहा गया है, ‘‘प्राधिकरण की सलाह पर केन्द्र सरकार जिम्मेदारियों के निर्वहन हेतु इसके (प्राधिकरण के) लिए आवश्यक अधिकारियों की श्रेणी का निर्धारण करेगी और प्राधिकरण को उपयुक्त अधिकारी और कर्मचारी उपलब्ध कराएगी...।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘वर्तमान में प्रभावी किसी भी कानून के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण ‘ग्रुप-ए’ के अधिकारियों और दिल्ली सरकार से जुड़े मामलों में सेवा दे रहे ‘दानिक्स’ अधिकारियों के तबादले और पदस्थापन की सिफारिश कर सकेगा...लेकिन वह अन्य मामलों में सेवा दे रहे अधिकारियों के साथ ऐसा नहीं कर सकेगा।’’
केन्द्र सरकार द्वारा जारी अध्यादेश पर, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने इसे उच्चतम न्यायालय के साथ ‘छलावा’ करार दिया है, जिसने 11 मई के अपने आदेश में दिल्ली सरकार में सेवारत नौकरशाहों का नियंत्रण इसके निर्वाचित सरकार के हाथों में सौंपा था। न्यायालय ने सिर्फ पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को इसके दायरे से बाहर रखा था।
दिल्ली की लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री आतिशी ने कहा कि केन्द्र का अध्यादेश ‘‘स्पष्ट रूप से न्यायालय की अवमानना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार उच्चतम न्यायालय के संविधान पीठ द्वारा सर्वसम्मति दिए गए फैसले के खिलाफ गई है। न्यायालय ने निर्देश दिया कि निर्वाचित सरकार को अपने विवेकानुसार और लोकतंत्र के सिद्धांतों के अनुरुप स्वतंत्र रूप से फैसले लेने की शक्तियां दी जाएं।’’
आतिशी ने कहा, ‘‘लेकिन केन्द्र का यह अध्यादेश (नरेन्द्र) मोदी सरकार की ‘बेहयाई’ का प्रतिबिंब है। इस अध्यादेश को लाने के पीछे केन्द्र का एकमात्र मकसद केजरीवाल सरकार से शक्तियां छीनना है।’’
यह आरोप लगाते हुए कि केन्द्र को जनादेश या उच्चतम न्यायालय के फैसले की परवाह नहीं है, आतिशी ने कहा कि अध्यादेश दिल्ली की निर्वाचित सरकार की शक्तियों से अधिक प्रभावकारी हो जाएगी।
आतिशी ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से डरती है। हम केन्द्र के इस कायराना कदम की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।’’
वहीं, आप के मुख्य प्रवक्ता एवं दिल्ली सरकार में सेवा मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि केन्द्र ने दिल्ली की जनता को ‘‘छला है।’’
भारद्वाज ने कहा, ‘‘देश के इतिहास में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। यह उच्चतम न्यायालय और दिल्ली की जनता के साथ ‘छलावा/धोखा’ है जिसने केजरीवाल को तीन बार मुख्यमंत्री चुना है। उनके पास कोई ताकत नहीं है, लेकिन उपराज्यपाल जो निर्वाचित नहीं है, जिसे जनता पर थोपा गया है उसके पास शक्तियां होंगी और उनके माध्यम से केन्द्र दिल्ली में हो रहे कामकाज पर नजर रखेगा। यह अदालत की अवमानना है।’’
सेवा मामलों में दिल्ली सरकार के वकील एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि नये अध्यादेश का गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है।
कांग्रेस नेता सिंघवी ने ट्वीट किया है, ‘‘दिल्ली सरकार के संबंध में जारी किये गये नये अध्यादेश का गहन अध्ययन करना होगा। लेकिन स्पष्ट रूप से यह खराब, बेहद खराब और ‘बेहयाई’ वाला कदम है। इसपर संदेह है कि क्या संसद इसे अपनी मंजूरी देगी।’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
गौरतलब है कि अध्यादेश जारी किये जाने से महज एक सप्ताह पहले ही उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया है।
दिन में, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि केन्द्र उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने के लिए अध्यादेश जारी करने की योजना बना रही है।
अध्यादेश में कहा गया है कि ‘‘राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्रधिकरण नाम का एक प्राधिकरण होगा, जो उसे प्रदान की गई शक्तियों का उपयोग करेगा और उसे सौंपी गई जिम्मेदारियों का निर्वहन करेगा।
प्राधिकरण में दिल्ली के मुख्यमंत्री उसके अध्यक्ष होंगे। साथ ही, इसमें मुख्य सचिव और प्रधान सचिव (गृह) सदस्य होंगे।
अध्यादेश में कहा गया है, ‘‘प्राधिकरण द्वारा तय किए जाने वाले सभी मुद्दों पर फैसले उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से होगा। प्राधिकरण की सभी सिफारिशों का सदस्य सचिव सत्यापन करेंगे।’’
अध्यादेश में कहा गया है कि प्राधिकरण उसके अध्यक्ष की मंजूरी से सदस्य सचिव द्वारा तय किए गए समय और स्थान पर बैठक करेंगे।
अध्यादेश में कहा गया है, ‘‘प्राधिकरण की सलाह पर केन्द्र सरकार जिम्मेदारियों के निर्वहन हेतु इसके (प्राधिकरण के) लिए आवश्यक अधिकारियों की श्रेणी का निर्धारण करेगी और प्राधिकरण को उपयुक्त अधिकारी और कर्मचारी उपलब्ध कराएगी...।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘वर्तमान में प्रभावी किसी भी कानून के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण ‘ग्रुप-ए’ के अधिकारियों और दिल्ली सरकार से जुड़े मामलों में सेवा दे रहे ‘दानिक्स’ अधिकारियों के तबादले और पदस्थापन की सिफारिश कर सकेगा...लेकिन वह अन्य मामलों में सेवा दे रहे अधिकारियों के साथ ऐसा नहीं कर सकेगा।’’
केन्द्र सरकार द्वारा जारी अध्यादेश पर, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने इसे उच्चतम न्यायालय के साथ ‘छलावा’ करार दिया है, जिसने 11 मई के अपने आदेश में दिल्ली सरकार में सेवारत नौकरशाहों का नियंत्रण इसके निर्वाचित सरकार के हाथों में सौंपा था। न्यायालय ने सिर्फ पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को इसके दायरे से बाहर रखा था।
दिल्ली की लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री आतिशी ने कहा कि केन्द्र का अध्यादेश ‘‘स्पष्ट रूप से न्यायालय की अवमानना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार उच्चतम न्यायालय के संविधान पीठ द्वारा सर्वसम्मति दिए गए फैसले के खिलाफ गई है। न्यायालय ने निर्देश दिया कि निर्वाचित सरकार को अपने विवेकानुसार और लोकतंत्र के सिद्धांतों के अनुरुप स्वतंत्र रूप से फैसले लेने की शक्तियां दी जाएं।’’
आतिशी ने कहा, ‘‘लेकिन केन्द्र का यह अध्यादेश (नरेन्द्र) मोदी सरकार की ‘बेहयाई’ का प्रतिबिंब है। इस अध्यादेश को लाने के पीछे केन्द्र का एकमात्र मकसद केजरीवाल सरकार से शक्तियां छीनना है।’’
यह आरोप लगाते हुए कि केन्द्र को जनादेश या उच्चतम न्यायालय के फैसले की परवाह नहीं है, आतिशी ने कहा कि अध्यादेश दिल्ली की निर्वाचित सरकार की शक्तियों से अधिक प्रभावकारी हो जाएगी।
आतिशी ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से डरती है। हम केन्द्र के इस कायराना कदम की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।’’
वहीं, आप के मुख्य प्रवक्ता एवं दिल्ली सरकार में सेवा मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि केन्द्र ने दिल्ली की जनता को ‘‘छला है।’’
भारद्वाज ने कहा, ‘‘देश के इतिहास में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। यह उच्चतम न्यायालय और दिल्ली की जनता के साथ ‘छलावा/धोखा’ है जिसने केजरीवाल को तीन बार मुख्यमंत्री चुना है। उनके पास कोई ताकत नहीं है, लेकिन उपराज्यपाल जो निर्वाचित नहीं है, जिसे जनता पर थोपा गया है उसके पास शक्तियां होंगी और उनके माध्यम से केन्द्र दिल्ली में हो रहे कामकाज पर नजर रखेगा। यह अदालत की अवमानना है।’’
सेवा मामलों में दिल्ली सरकार के वकील एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि नये अध्यादेश का गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है।
कांग्रेस नेता सिंघवी ने ट्वीट किया है, ‘‘दिल्ली सरकार के संबंध में जारी किये गये नये अध्यादेश का गहन अध्ययन करना होगा। लेकिन स्पष्ट रूप से यह खराब, बेहद खराब और ‘बेहयाई’ वाला कदम है। इसपर संदेह है कि क्या संसद इसे अपनी मंजूरी देगी।’’
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