मौसम में बदलाव के कारण कई बीमारियों और संक्रमण का खतरा; डॉक्टरों ने सावधानी बरतने की सलाह दी
punjabkesari.in Saturday, Apr 01, 2023 - 09:38 AM (IST)

नयी दिल्ली, 31 मार्च (भाषा) विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश और तेज हवा ने न केवल दिल्ली के मौसम को अप्रत्याशित बना दिया है, बल्कि इससे लोगों के लिए कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न हुई हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि मौसमी परिवर्तन न केवल तापमान में उतार-चढ़ाव लाता है, बल्कि इससे कुछ निश्चित समय के लिए एलर्जी उत्पन्न करने वाले तत्व भी पैदा होते हैं।
उनका कहना है कि मौसम में बदलाव के कारण शहर में खासकर इन्फ्लूएंजा (फ्लू) के मामलों में तेजी आई है।
सीके बिड़ला अस्पताल में वरिष्ठ सलाहकार-इंटरनल मेडिसिन राजीव गुप्ता ने कहा कि वर्तमान में श्वसन संबंधी बीमारियां सबसे अधिक देखने को मिल रही हैं।
उन्होंने कहा, "मरीजों में खांसी, बुखार, शरीर में दर्द, गले में खराश और नाक बहने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ये बीमारियां मुख्य रूप से ऊपरी श्वसन पथ को प्रभावित करती हैं और विषाणु मूल की होती हैं, जिनमें इन्फ्लूएंजा, एच3एन2, एच1एन1 और कोविड-19 का फिर से उभरना शामिल है।"
डॉ. गुप्ता ने कहा कि इनके अलावा, बढ़ते तापमान और दूषित भोजन तथा पानी जैसे कारकों के कारण भी रोगियों में पाचन तंत्र से जुड़ीं डायरिया संबंधी बीमारियां देखी गई हैं। उन्होंने कहा कि अस्थमा, राइनाइटिस और चकत्ते जैसी त्वचा संबंधी एलर्जी से जुड़े रोग भी हाल में रोगियों में देखे गए हैं।
श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. विक्रम जग्गी ने कहा कि मौसमी बदलाव अपने साथ न केवल तापमान में उतार-चढ़ाव लाता है, बल्कि इससे कुछ निश्चित समय के लिए एलर्जी उत्पन्न करने वाले तत्व भी पैदा होते हैं।
उन्होंने कहा, "चाहे यह वसंत ऋतु के दौरान अतिरिक्त पराग कण हों, गर्मी के दौरान धूल और प्रदूषण हो या सर्दी और मानसून के दौरान फफूंद हो- एलर्जी पैदा करने वाले ये तत्व फेफड़ों में जा सकते हैं जिससे सांस लेने में दिक्कत या सांस लेने के दौरान घरघराहट उत्पन्न हो सकती है।
डॉ. जग्गी ने कहा कि इस मौसम के दौरान अस्थमा के लक्षणों का मौसमी विस्तार एक सामान्य घटना है।
विशेषज्ञों ने लोगों को इन सबसे बचने के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मौसमी परिवर्तन न केवल तापमान में उतार-चढ़ाव लाता है, बल्कि इससे कुछ निश्चित समय के लिए एलर्जी उत्पन्न करने वाले तत्व भी पैदा होते हैं।
उनका कहना है कि मौसम में बदलाव के कारण शहर में खासकर इन्फ्लूएंजा (फ्लू) के मामलों में तेजी आई है।
सीके बिड़ला अस्पताल में वरिष्ठ सलाहकार-इंटरनल मेडिसिन राजीव गुप्ता ने कहा कि वर्तमान में श्वसन संबंधी बीमारियां सबसे अधिक देखने को मिल रही हैं।
उन्होंने कहा, "मरीजों में खांसी, बुखार, शरीर में दर्द, गले में खराश और नाक बहने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ये बीमारियां मुख्य रूप से ऊपरी श्वसन पथ को प्रभावित करती हैं और विषाणु मूल की होती हैं, जिनमें इन्फ्लूएंजा, एच3एन2, एच1एन1 और कोविड-19 का फिर से उभरना शामिल है।"
डॉ. गुप्ता ने कहा कि इनके अलावा, बढ़ते तापमान और दूषित भोजन तथा पानी जैसे कारकों के कारण भी रोगियों में पाचन तंत्र से जुड़ीं डायरिया संबंधी बीमारियां देखी गई हैं। उन्होंने कहा कि अस्थमा, राइनाइटिस और चकत्ते जैसी त्वचा संबंधी एलर्जी से जुड़े रोग भी हाल में रोगियों में देखे गए हैं।
श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. विक्रम जग्गी ने कहा कि मौसमी बदलाव अपने साथ न केवल तापमान में उतार-चढ़ाव लाता है, बल्कि इससे कुछ निश्चित समय के लिए एलर्जी उत्पन्न करने वाले तत्व भी पैदा होते हैं।
उन्होंने कहा, "चाहे यह वसंत ऋतु के दौरान अतिरिक्त पराग कण हों, गर्मी के दौरान धूल और प्रदूषण हो या सर्दी और मानसून के दौरान फफूंद हो- एलर्जी पैदा करने वाले ये तत्व फेफड़ों में जा सकते हैं जिससे सांस लेने में दिक्कत या सांस लेने के दौरान घरघराहट उत्पन्न हो सकती है।
डॉ. जग्गी ने कहा कि इस मौसम के दौरान अस्थमा के लक्षणों का मौसमी विस्तार एक सामान्य घटना है।
विशेषज्ञों ने लोगों को इन सबसे बचने के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी है।
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