सोसाइटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स ने विदेशी वकीलों के प्रवेश पर बीसीआई के समक्ष जताई चिंता
punjabkesari.in Saturday, Apr 01, 2023 - 09:38 AM (IST)

नयी दिल्ली, 31 मार्च (भाषा) सोसायटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स (एसआईएलएफ) ने भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) को पत्र लिखकर विदेशी वकीलों और कानूनी फर्म को देश में प्रैक्टिस करने की अनुमति देने के हालिया फैसले पर चिंता जताई है।
एसआईएलएफ ने 30 मार्च को बीसीआई को अपना अभ्यावेदन दिया, जिसकी जानकारी संगठन ने शुक्रवार को एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिये दी है।
एसआईएलएफ ने कहा कि विदेशी वकीलों और विधि कंपनियों के भारत में वकालत पेशा करने देने संबंधी नियम सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुरूप नहीं हैं, जिसने फैसला सुनाया हुआ है कि केवल राज्य विधिज्ञ परिषदों से जुड़े अधिवक्ता ही कानूनी पेशा करने के अधिकारी हैं।
इस महीने की शुरुआत में, ‘भारत में विदेशी वकीलों और कानूनी कंपनियों के पंजीकरण और विनियमन के लिए भारतीय विधिज्ञ परिषद नियमावली, 2022’ को अधिसूचित किया गया था।
इस कदम के तरीके और समय पर सवाल उठाते हुए एसआईएलएफ ने विज्ञप्ति में जोर देकर कहा है कि नियम भेदभावपूर्ण हैं, क्योंकि भारतीय पेशेवर अधिवक्ता अधिनियम के तहत आचार संहिता और विनियमों द्वारा शासित होते हैं, जबकि विदेशी वकील और विधिक कंपनियां अपने देश के नियमों के जरिये।
एसआईएलएफ ने भारतीय और विदेशी कानून प्रथाओं के बीच अंतर पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि भारत में पेशेवर नियम ‘प्राचीन’ हैं, जो ‘कानूनी फर्म’ की अवधारणा को मान्यता नहीं देते हैं या किसी भी प्रकार के विपणन या आकस्मिक शुल्क या सफलता शुल्क लगाने की अनुमति नहीं देते हैं, जबकि विदेशी संस्थाएं इन नियमों के तहत भारतीय संहिता से बंधे नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘एसआईएलएफ ने बीसीआई को अपने अभ्यावेदन में आगाह किया है कि नियम माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुरूप नहीं हैं...इसलिए पहले (अधिवक्ताओं) अधिनियम में संशोधन किया जाना चाहिए ताकि विदेशी वकीलों के भारत में वकालत पेशा करने में सक्षम बनाया जा सके।"
इसमें कहा गया है कि अधिवक्ता अधिनियम में इस तरह के संशोधन के बिना नियमावली को चुनौती दी जा सकती है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
एसआईएलएफ ने 30 मार्च को बीसीआई को अपना अभ्यावेदन दिया, जिसकी जानकारी संगठन ने शुक्रवार को एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिये दी है।
एसआईएलएफ ने कहा कि विदेशी वकीलों और विधि कंपनियों के भारत में वकालत पेशा करने देने संबंधी नियम सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुरूप नहीं हैं, जिसने फैसला सुनाया हुआ है कि केवल राज्य विधिज्ञ परिषदों से जुड़े अधिवक्ता ही कानूनी पेशा करने के अधिकारी हैं।
इस महीने की शुरुआत में, ‘भारत में विदेशी वकीलों और कानूनी कंपनियों के पंजीकरण और विनियमन के लिए भारतीय विधिज्ञ परिषद नियमावली, 2022’ को अधिसूचित किया गया था।
इस कदम के तरीके और समय पर सवाल उठाते हुए एसआईएलएफ ने विज्ञप्ति में जोर देकर कहा है कि नियम भेदभावपूर्ण हैं, क्योंकि भारतीय पेशेवर अधिवक्ता अधिनियम के तहत आचार संहिता और विनियमों द्वारा शासित होते हैं, जबकि विदेशी वकील और विधिक कंपनियां अपने देश के नियमों के जरिये।
एसआईएलएफ ने भारतीय और विदेशी कानून प्रथाओं के बीच अंतर पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि भारत में पेशेवर नियम ‘प्राचीन’ हैं, जो ‘कानूनी फर्म’ की अवधारणा को मान्यता नहीं देते हैं या किसी भी प्रकार के विपणन या आकस्मिक शुल्क या सफलता शुल्क लगाने की अनुमति नहीं देते हैं, जबकि विदेशी संस्थाएं इन नियमों के तहत भारतीय संहिता से बंधे नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘एसआईएलएफ ने बीसीआई को अपने अभ्यावेदन में आगाह किया है कि नियम माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुरूप नहीं हैं...इसलिए पहले (अधिवक्ताओं) अधिनियम में संशोधन किया जाना चाहिए ताकि विदेशी वकीलों के भारत में वकालत पेशा करने में सक्षम बनाया जा सके।"
इसमें कहा गया है कि अधिवक्ता अधिनियम में इस तरह के संशोधन के बिना नियमावली को चुनौती दी जा सकती है।
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