आलू किसानों की मदद के लिए पेप्सिको ने उठाया कदम
punjabkesari.in Thursday, Mar 30, 2023 - 08:03 PM (IST)

नयी दिल्ली, 30 मार्च (भाषा) पेप्सिको इंडिया ने किसानों को आलू की बेहतर फसल प्राप्त करने में मदद के लिये पहल की है। इसके तहत कंपनी ने फसल के स्वास्थ्य पर वास्तविक समय पर नजर रखने में मदद करने के लिए फसल और खेत के स्तर पर पूर्वानुमान लगाने योग्य बौद्धिक मॉडल की घोषणा की।
कंपनी ने एक विज्ञप्ति में बताया कि वैश्विक कृषि प्रौद्योगिकी कंपनी, क्रोपिन के सहयोग से पेश किया गया, अनुमान लगाये जाने योग्य और खेत बौद्धिक मॉडल’ विशिष्ट फसल किस्मों, स्थितियों तथा स्थानों के अनुरूप है।
यह पहल भारत के लिए पेप्सिको के सटीक कृषि मॉडल का हिस्सा है और इसे गुजरात तथा मध्य प्रदेश में प्रदर्शन वाले खेतों में एक प्रायोगिक परियोजना के रूप में लागू किया जा रहा है।
पेप्सिको के अनुसार, भारत में ज्यादातर किसानों के पास एक हेक्टेयर से कम कृषि भूमि है और उन्हें पानी, उर्वरक तथा कीटनाशकों जैसे कृषि-लागतों की महत्तम खपत का आकलन करने के तरीकों की कमी की वजह से लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
कंपनी ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर जल्दी पूर्वानुमान नहीं लगाया गया तो ब्लाइट फसल रोग के कारण आलू की उपज का नुकसान 80 प्रतिशत तक हो सकता है। इसमें कहा गया है कि देश के उत्तरी भागों में विशेष रूप से आलू के किसानों के लिए जमीनी ठंढ के कारण होने वाली महत्वपूर्ण उपज हानि एक और गंभीर मुद्दा है।
इसमें कहा गया है, ‘‘प्रणाली 10 दिनों तक के लिए पहले से पूर्वानुमान दे सकती है जो किसानों को विभिन्न फसल चरणों की पहचान करने में सहायता कर सकती है, और मौसम के पूर्वानुमान और ऐतिहासिक डेटा पर निर्भर रोग चेतावनी प्रणाली सहित फसल स्वास्थ्य की बारीकी से निगरानी कर सकती है।’’
पेप्सिको की 14 क्षेत्रीय भाषाओं में समाधान पेश करने की योजना है।
भारत में, पेप्सिको 14 राज्यों में 27,000 से अधिक किसानों के साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से काम करती है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
कंपनी ने एक विज्ञप्ति में बताया कि वैश्विक कृषि प्रौद्योगिकी कंपनी, क्रोपिन के सहयोग से पेश किया गया, अनुमान लगाये जाने योग्य और खेत बौद्धिक मॉडल’ विशिष्ट फसल किस्मों, स्थितियों तथा स्थानों के अनुरूप है।
यह पहल भारत के लिए पेप्सिको के सटीक कृषि मॉडल का हिस्सा है और इसे गुजरात तथा मध्य प्रदेश में प्रदर्शन वाले खेतों में एक प्रायोगिक परियोजना के रूप में लागू किया जा रहा है।
पेप्सिको के अनुसार, भारत में ज्यादातर किसानों के पास एक हेक्टेयर से कम कृषि भूमि है और उन्हें पानी, उर्वरक तथा कीटनाशकों जैसे कृषि-लागतों की महत्तम खपत का आकलन करने के तरीकों की कमी की वजह से लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
कंपनी ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर जल्दी पूर्वानुमान नहीं लगाया गया तो ब्लाइट फसल रोग के कारण आलू की उपज का नुकसान 80 प्रतिशत तक हो सकता है। इसमें कहा गया है कि देश के उत्तरी भागों में विशेष रूप से आलू के किसानों के लिए जमीनी ठंढ के कारण होने वाली महत्वपूर्ण उपज हानि एक और गंभीर मुद्दा है।
इसमें कहा गया है, ‘‘प्रणाली 10 दिनों तक के लिए पहले से पूर्वानुमान दे सकती है जो किसानों को विभिन्न फसल चरणों की पहचान करने में सहायता कर सकती है, और मौसम के पूर्वानुमान और ऐतिहासिक डेटा पर निर्भर रोग चेतावनी प्रणाली सहित फसल स्वास्थ्य की बारीकी से निगरानी कर सकती है।’’
पेप्सिको की 14 क्षेत्रीय भाषाओं में समाधान पेश करने की योजना है।
भारत में, पेप्सिको 14 राज्यों में 27,000 से अधिक किसानों के साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से काम करती है।
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