कर्नाटक में 10 मई को मतदान, भाजपा को वापसी की तो कांग्रेस को सत्ता पाने की आस

punjabkesari.in Wednesday, Mar 29, 2023 - 09:16 PM (IST)

नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) कर्नाटक में 10 मई को एक ही चरण में विधानसभा चुनाव होंगे। साल 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच यह राज्य एक और चुनावी जंग का मैदान बनेगा तो कठिन चुनौतियों के दौर से गुजर रही प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी जनता दल (सेक्युलर) के प्रदर्शन पर भी सबकी निगाहें होंगे।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने बुधवार को दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए कहा कि मतों की गिनती 13 मई को होगी।

कर्नाटक में कई मुद्दों पर राजनीतिक तापमान गर्म होने के बीच भाजपा को उम्मीद है कि वह सत्ता बरकरार रख इतिहास रचते हुए करीब चार दशक पुराने रिकार्ड को तोड़ देगी, जबकि कांग्रेस अपने भगवा प्रतिद्वंद्वी को पछाड़कर एक प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के रूप में अपनी दावेदारी को आगे ले जाने की कोशिश करेगी।

ज्ञात हो कि 1985 के बाद से किसी भी राजनीतिक दल ने राज्य में लगातार जनादेश नहीं हासिल किया है और भाजपा इतिहास लिखने और अपने दक्षिणी गढ़ को बचाए रखने के लिए उत्सुक है।

कर्नाटक में 224 सदस्यीय विधानसभा है। वर्तमान में भाजपा के पास 119 सीटें हैं जबकि कांग्रेस के पास 75 सीटें हैं। जद (एस) के पास 28 विधायक हैं, जबकि दो सीटें खाली हैं।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने राजधानी दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि चुनाव के लिए अधिसूचना 13 अप्रैल को जारी की जाएगी और नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 20 अप्रैल होगी।

कुमार ने कहा कि नामांकन पत्रों की जांच 21 अप्रैल को होगी और नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 24 अप्रैल होगी।

कुमार ने कहा कि मतदाताओं की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए मतदान के लिए बुधवार को चुना गया है, न कि सोमवार या शुक्रवार को।

उन्होंने तर्क दिया, ‘‘लोग एक दिन की छुट्टी ले सकते हैं और एक लंबा सप्ताहांत कर सकते हैं। लेकिन बुधवार को मतदान कराने से यह संभावना कम हो गई है।’’
उन्होंने कहा कि यह कदम अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने और मतदान केंद्रों पर जाने में मतदाताओं की उदासीनता पर अंकुश लगाने के चुनाव आयोग के प्रयास का हिस्सा है।

सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस ने पहले ही चुनाव के लिए जोरशोर से प्रचार अभियान शुरू कर दिया है।
चुनाव की घोषणा के साथ ही बुधवार को आदर्श आचार संहिता लागू हो गई।

पिछले दो दशकों की तरह इस बार के चुनाव में भी मुकाबला मुख्यत: त्रिकोणीय है, जिसमें भाजपा, कांग्रेस और जद (एस) शामिल हैं।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा राज्य में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करेगी।

बोम्मई ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने पिछले साढ़े तीन महीनों में राज्य के लगभग सभी निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा किया है। उन्होंने कहा, "मुझे पूरा विश्वास है कि हमें पूर्ण और स्पष्ट बहुमत मिलेगा तथा भाजपा 2023 में फिर सरकार बनाएगी।"
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री और कर्नाटक की धारवाड़ सीट से सांसद प्रह्लाद जोशी ने संसद भवन परिसर में पत्रकारों से कहा कि उन्हें विश्वास है कि भाजपा राज्य के विकास के लिए अपनी सरकार के ‘ऐतिहासिक’ कार्यों के कारण सत्ता बरकरार रखेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में हमारी ‘डबल इंजन’ सरकार ने राज्य के विकास के लिए जो काम किया है, उसे देखते हुए मुझे पूरा विश्वास है कि येदियुरप्पा और बोम्मई के नेतृत्व में भाजपा कर्नाटक में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लौटेगी।’’
जोशी ने कहा, ‘‘पिछली बार हम पांच-छह सीट से स्पष्ट बहुमत से दूर रह गए थे।’’
भाजपा महासचिव और कर्नाटक के प्रभारी अरुण सिंह से जब यह पूछा गया कि क्या भाजपा गठबंधन बनाने के लिए जद (एस) के साथ बातचीत कर रही है, उन्होंने कहा, ‘‘नहीं। हम अपने बल पर लड़ रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा, जद (एस) को उसके क्षेत्रों में कड़ी टक्कर दे रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कर्नाटक को जद (एस) से कभी फायदा नहीं हुआ।’’
पार्टी की चुनावी तैयारियों के बारे में बात करते हुए सिंह ने कहा कि पार्टी चुनावी लड़ाई के लिए ‘‘पूरी तरह तैयार’’ है और ‘‘शानदार जीत’’ दर्ज करेगी।

भाजपा को उम्मीद है कि कर्नाटक में जीत से वह चुनावी जीत की लय को बनाए रखेगी और इस साल के अंत में हिंदी पट्टी के राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में होने वाले महत्वपूर्ण चुनावों में जीत हासिल करने का उसे आत्मविश्वास मिलेगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के चुनावी राज्य के तूफानी दौरों ने निस्संदेह पार्टी को चुनाव प्रचार में तेजी दी है, लेकिन कांग्रेस ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। उसने भ्रष्टाचार को राजनीतिक विमर्श का एक केंद्रीय विषय बनाने की पूरी कोशिश की है।

भाजपा की राज्य इकाई सत्ता विरोधी लहर से लड़ने के लिए अपनी संभावनाओं को मजबूत करने के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर भरोसा कर रही है। लिंगायत समुदाय के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के सक्रिय प्रचार से भी पार्टी को काफी मजबूती मिलने की उम्मीद है।

भाजपा हिंदुत्व कार्ड के साथ मोदी के विकास के एजेंडे, ''डबल इंजन सरकार'' के कार्यों और उसकी लोकलुभावन योजनाओं को भी पेश कर रही है। इसके अलावा, यह एससी/एसटी, वोक्कालिगा और लिंगायत के लिए आरक्षण वृद्धि पर सामाजिक कल्याण निर्णय प्रदान करने में अपने प्रयासों को उजागर कर रहा है।

पार्टी ने चुनाव की तैयारियों के तहत पिछले कुछ सप्ताह में सभी विधानसभा क्षेत्रों में ‘जन संकल्प यात्रा’ निकाली है। हालांकि पार्टी के दो विधान परिषद सदस्यों के पिछले दिनों कांग्रेस में शामिल होने से उसे झटका लगा है।

राज्य में 2018 में हुए चुनाव के परिणाम में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी लेकिन वह बहुमत से दूर रह गयी थी। तब जनता दल (सेकुलर) (जदएस) और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई थी और जदएस नेता एच डी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने थे।

लेकिन भाजपा ने जुलाई 2019 में कांग्रेस और जदसे के 17 विधायकों की मदद से सरकार बनाई जो इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे।

अगले लोकसभा चुनावों में भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए कांग्रेस के लिए जीत बहुत महत्वपूर्ण है और वह सत्ता हासिल करने के लिए उत्सुक भी दिख रही है।

पार्टी ने भ्रष्टाचार को अपने अभियान का एक केंद्रीय विषय बनाया है और मुख्यमंत्री पर ‘‘पे-सीएम’’ का आरोप लगाया है।

कांग्रेस के सामने खासकर मुख्यमंत्री पद के अपने दो उम्मीदवारों सिद्धरमैया और डी के शिवकुमार के खेमों के बीच गुटबाजी को दूर रखने की भी चुनौती है। दोनों नेताओं ने विश्वास जताया कि कांग्रेस सरकार बनाएगी।

शिवकुमार ने संवाददाताओं से कहा कि 10 मई केवल मतदान का दिन नहीं है, बल्कि भ्रष्टाचार से छुटकारा पाने का पवित्र दिन है, एक नया कर्नाटक बनाने और इसे एक "नई दिशा" देने का दिन है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया ने आयोग के फैसले का स्वागत किया और कहा कि उनकी पार्टी चुनाव के लिए तैयार है।

सत्ताधारी भाजपा पर चुनाव प्रणाली को भ्रष्ट बनाने का आरोप लगाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि निर्वाचन आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराएगा।

सिद्धरमैया ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें उम्मीद थी कि चुनाव का ऐलान कल या आज किया जाएगा...हम स्वागत करते हैं कि यह चुनाव एकल चरण में होने जा रहा है।’’
इस बात पर भी सबकी निगाहें हैं कि क्या पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के नेतृत्व वाला जद (एस) त्रिशंकु परिणाम आने की स्थिति में सरकार गठन की चाबी अपने पास रखकर ''किंगमेकर'' के रूप में उभरेगा, जैसा कि उसने पहले किया है।

पार्टी छोड़ने, आंतरिक कलह और ''पारिवारिक पार्टी'' होने की छवि से त्रस्त देवगौड़ा के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी, एक तरह से अकेले दम पर जद (एस) की कमान संभाले हुए हैं।



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