कंबोडिया में बाघों को दोबारा बसाने में मदद कर रहा भारत: अधिकारी
punjabkesari.in Saturday, Mar 25, 2023 - 10:16 AM (IST)

नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) भारत बाघों को कंबोडिया भेजने पर विचार कर रहा है ताकि कंबोडिया के जंगलों में बाघों को फिर से बसाने में मदद मिल सके। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि भारत ने बाघों को बसाने के दुनिया के पहले अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत पिछले साल कंबोडिया के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के अनुसार, कंबोडिया में संरक्षणवादियों ने 2016 में बाघों को "विलुप्त" घोषित कर दिया था।
कंबोडिया के आखिरी बाघ को 2007 में मोंडुलकिरी के पूर्वी प्रांत में एक कैमरे में रिकार्ड किया गया था।
सितंबर 2017 में, कंबोडिया सरकार ने डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की मदद से देश में बाघों को फिर से लाने की योजना की घोषणा की थी।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के सदस्य सचिव एसपी यादव ने कहा,"हाल ही में, भारत ने कंबोडिया के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए, जो बाघों को बसाने के लिए हमारा समर्थन मांग रहा है। अवैध शिकार, निवास स्थान के अभाव और अन्य कारणों के चलते देश में बाघ विलुप्त हो गए हैं। कंबोडिया का एक प्रतिनिधिमंडल पहले ही भारत आ चुका है। हमारा प्रतिनिधिमंडल भी वहां गया था। इस बात पर चर्चा जारी है कि हम उनका समर्थन कैसे कर सकते हैं।”
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उन्होंने कहा कि भारत ने बाघों को बसाने के दुनिया के पहले अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत पिछले साल कंबोडिया के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के अनुसार, कंबोडिया में संरक्षणवादियों ने 2016 में बाघों को "विलुप्त" घोषित कर दिया था।
कंबोडिया के आखिरी बाघ को 2007 में मोंडुलकिरी के पूर्वी प्रांत में एक कैमरे में रिकार्ड किया गया था।
सितंबर 2017 में, कंबोडिया सरकार ने डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की मदद से देश में बाघों को फिर से लाने की योजना की घोषणा की थी।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के सदस्य सचिव एसपी यादव ने कहा,"हाल ही में, भारत ने कंबोडिया के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए, जो बाघों को बसाने के लिए हमारा समर्थन मांग रहा है। अवैध शिकार, निवास स्थान के अभाव और अन्य कारणों के चलते देश में बाघ विलुप्त हो गए हैं। कंबोडिया का एक प्रतिनिधिमंडल पहले ही भारत आ चुका है। हमारा प्रतिनिधिमंडल भी वहां गया था। इस बात पर चर्चा जारी है कि हम उनका समर्थन कैसे कर सकते हैं।”
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