राहुल से पहले भी कई जनप्रतिनिधियों को दोषी ठहराये जाने के बाद अयोग्य करार दिया जा चुका है

punjabkesari.in Saturday, Mar 25, 2023 - 10:16 AM (IST)

नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) आपराधिक मानहानि के एक मामले में सूरत की एक अदालत द्वारा दोषी ठहराये जाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य करार दिया गया है और उनका नाम इस तरह की कार्रवाई का सामना कर चुके जनप्रतिनिधियों की सूची में शामिल हो गया है।

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, यदि किसी जनप्रतिनिधि को किसी मामले में दो साल या उससे अधिक कारावास की सजा सुनाई जाती है, तो वह दोषी करार दिये जाने की तारीख से सदन की सदस्यता से अयोग्य हो जाएगा और सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह और साल के लिए अयोग्य रहेगा।

यहां कुछ जनप्रतिनिधियों की सूची है, जिन्हें आपराधिक मामलों में दोषी ठहराये जाने एवं सजा सुनाये जाने के बाद संसद और विधानसभाओं की सदस्यता छोड़नी पड़ी।

लालू प्रसाद: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष को सितंबर 2013 में चारा घोटाला के एक मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित किया गया था। उस समय वह बिहार के सारण से सांसद थे।

रशीद मसूद : कांग्रेस के उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद मसूद को सितंबर 2013 में एमबीबीएस सीट घोटाला मामले में चार वर्ष कारावास की सजा सुनाये जाने के मद्देनजर उच्च सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराया गया था।

जे. जयललिता: अन्नाद्रमुक की तत्कालीन प्रमुख जयललिता को आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में चार साल के कारावास की सजा सुनाये जाने के बाद सितंबर 2014 में तमिलनाडु विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य करार दिया गया था।

पीपी मोहम्मद फैजल: लक्षद्वीप से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सांसद पीपी मोहम्मद फैजल को जनवरी 2023 में हत्या के प्रयास के एक मामले में 10 साल के कारावास की सजा सुनाई गयी थी, जिसके बाद वह स्वत: ही संसद सदस्यता के लिए अयोग्य हो गये।
हालांकि, केरल उच्च न्यायालय ने बाद में फैजल की दोषसिद्धि और सजा को निलंबित कर दिया। सांसद के अनुसार लोकसभा सचिवालय ने अब तक उनकी अयोग्यता को वापस लेने के संबंध में अधिसूचना जारी नहीं की है।

आजम खां: समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आजम खां को 2019 के नफरत भरे भाषण के एक मामले में एक अदालत ने तीन साल कैद की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उन्हें अक्टूबर 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए अयोग्य करार दिया गया था। वह रामपुर सदर विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

अनिल कुमार सहनी: राजद विधायक सहनी को धोखाधड़ी के एक मामले में तीन साल कारावास की सजा सुनाये जाने के बाद अक्टूबर 2022 में बिहार विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित किया गया था।

विक्रम सिंह सैनी: भाजपा विधायक सैनी को उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए अक्टूबर 2022 में अयोग्य करार दिया गया था। उन्हें 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के एक मामले में दो साल के कारावास की सजा सुनाई गयी थी। सैनी खतौली सीट से विधायक थे।

प्रदीप चौधरी: कांग्रेस विधायक चौधरी को जनवरी 2021 में हरियाणा विधानसभा के लिए अयोग्य करार दिया गया था। उन्हें हमले के एक मामले में तीन साल जेल की सजा सुनाई गयी थी। वह कालका से विधायक थे।

कुलदीप सिंह सेंगर: सेंगर को बलात्कार के एक मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद फरवरी 2020 में उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता खोनी पड़ी थी।

अब्दुल्ला आजम खां : सपा विधायक अब्दुल्ला आजम खां को फरवरी 2023 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए अयोग्य करार दिया गया था। कुछ दिन पहले ही एक अदालत ने 15 साल पुराने एक मामले में उन्हें दो साल कारावास की सजा सुनाई थी। आजम खां के बेटे अब्दुल्ला रामपुर की स्वार विधानसभा से सदस्य थे।

अनंत सिंह: राजद विधायक अनंत सिंह की विधानसभा सदस्यता जुलाई 2022 में चली गयी थी। उन्हें उनके आवास से हथियार और गोला-बारूद जब्त होने से जुड़े मामले में दोषी करार दिया गया था। सिंह पटना जिले की मोकामा सीट से विधायक थे।

जगदीश शर्मा : बिहार के जहानाबाद सीट से जद(यू) के लोकसभा सांसद शर्मा को चारा घोटाला मामले में सितंबर 2013 में चार वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई थी और इसके बाद उन्हें लोकसभा की सदस्यता के अयोग्य करार दिया गया था।

आशा रानी : भाजपा विधायक आशा रानी को मध्यप्रदेश के बैजावर विधानसभा सीट की सदस्यता के लिए अयोग्य करार दिया गया था। उन्हें घरेलू सहायिका (मेड) को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में दोषी करार दिया गया था।

एनोस एक्का : झारखंड के कोलेबिरा सीट से झारखंड पार्टी के विधायक एक्का के 2014 में सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद उन्हें विधानसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराया गया था।
बबनराव घोलप : महाराष्ट्र के देवलाली से शिवसेना विधायक घोलप को आय के ज्ञात स्रोत से अधिक सम्पत्ति मामले में मार्च 2014 में तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाए जाने के मद्देनजर विधानसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ा था।

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