दिल्ली दंगे: अदालत ने मुआवजे के लिए आवेदनों के विवरणों पर दावा आयोग से रिपोर्ट दाखिल करने को कहा
punjabkesari.in Monday, Mar 20, 2023 - 10:44 PM (IST)

नयी दिल्ली, 20 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा दावा आयोग (एनईडीआरसीसी) को पीड़ितों से प्राप्त दावों और भुगतान की गई राशि के विवरण के बारे में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार द्वारा अप्रैल 2020 में स्थापित एनईडीआरसीसी के सचिव को दावों और मुआवजे प्रदान करने के लिए आवेदनों पर कार्रवाई करते समय अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के बारे में भी बताने को कहा।
अदालत ‘‘दंगा पीड़ितों की मदद के लिए दिल्ली सरकार की सहायता योजना’’ को चुनौती देने वाली कुछ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी क्योंकि इसमें नाबालिगों की मौत के लिए समुचित मुआवजे का प्रावधान नहीं है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 18 मार्च, 2020 के एक आदेश के तहत दावा आयुक्त नियुक्त किया था, जिसे उस वर्ष अप्रैल में जारी दिल्ली सरकार के आदेश द्वारा लागू किया गया था।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी, 2020 को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा के बाद सांप्रदायिक झड़पें हुईं, जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए और लगभग 200 लोग घायल हो गए।
याचिकाओं में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ितों को दी जा रही मुआवजा राशि को बढ़ाने की भी मांग की गई है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता वित्तीय रूप से उतने सक्षम नहीं हैं और दावा आयोग को इस मामले में तेजी से कदम उठाने चाहिए। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘दावा आयोग से विस्तृत स्थिति रिपोर्ट मांगना उचित समझा जाता है...रिपोर्ट चार सप्ताह के भीतर दाखिल की जाएगी।’’
अदालत ने मामले को 28 अप्रैल को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। इसके साथ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को इस आदेश के बारे में दावा आयोग को सूचित करने के लिए कहा गया। अदालत ने कहा कि वह मामले में आगे बढ़ने से पहले यह देखना चाहती है कि आयोग क्या कर रहा है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार द्वारा अप्रैल 2020 में स्थापित एनईडीआरसीसी के सचिव को दावों और मुआवजे प्रदान करने के लिए आवेदनों पर कार्रवाई करते समय अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के बारे में भी बताने को कहा।
अदालत ‘‘दंगा पीड़ितों की मदद के लिए दिल्ली सरकार की सहायता योजना’’ को चुनौती देने वाली कुछ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी क्योंकि इसमें नाबालिगों की मौत के लिए समुचित मुआवजे का प्रावधान नहीं है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 18 मार्च, 2020 के एक आदेश के तहत दावा आयुक्त नियुक्त किया था, जिसे उस वर्ष अप्रैल में जारी दिल्ली सरकार के आदेश द्वारा लागू किया गया था।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी, 2020 को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा के बाद सांप्रदायिक झड़पें हुईं, जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए और लगभग 200 लोग घायल हो गए।
याचिकाओं में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ितों को दी जा रही मुआवजा राशि को बढ़ाने की भी मांग की गई है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता वित्तीय रूप से उतने सक्षम नहीं हैं और दावा आयोग को इस मामले में तेजी से कदम उठाने चाहिए। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘दावा आयोग से विस्तृत स्थिति रिपोर्ट मांगना उचित समझा जाता है...रिपोर्ट चार सप्ताह के भीतर दाखिल की जाएगी।’’
अदालत ने मामले को 28 अप्रैल को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। इसके साथ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को इस आदेश के बारे में दावा आयोग को सूचित करने के लिए कहा गया। अदालत ने कहा कि वह मामले में आगे बढ़ने से पहले यह देखना चाहती है कि आयोग क्या कर रहा है।
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