राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के तहत कई राज्यों को कोष जारी नहीं करने पर समिति ने अप्रसन्नता जताई

punjabkesari.in Wednesday, Mar 15, 2023 - 05:56 PM (IST)

नयी दिल्ली, 15 मार्च (भाषा) संसद की एक समिति ने महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) के तहत अनेक राज्यों को कोष जारी नहीं करने के विषय को रेखांकित करते हुए कहा कि कई प्रदेशों का कोष इस प्रकार से रोकने से इस महत्वपूर्ण योजना की प्रगति बाधित होगी।
संसद में बुधवार को पेश, द्रमुक सांसद कनिमोई करूणानिधि की अध्यक्षता वाली ग्रामीण विकास और पंचायती राज संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 में (31 दिसंबर 2022 तक) इस योजना के तहत 34 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में से 19 प्रदेशों को कोष प्राप्त नहीं हुए हैं। इसी प्रकार से वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 34 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में से नौ प्रदेशों को कोष जारी नहीं किए गए।

समिति ने कहा कि कई प्रदेशों को इस प्रकार से कोष नहीं जारी करने से इस महत्वपूर्ण योजना की प्रगति बाधित होगी जिसका मकसद पंचायती राज संस्थानों को मजबूत बनाना है।
समिति ने पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत बनाने एवं सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने के मद्देनजर पंचायती राज मंत्रालय की मांग की तुलना में बजटीय आवंटन को अपर्याप्त बताया है और यह सिफारिश की है कि मंत्रालय को यह मुद्दा वित्त मंत्रालय के समक्ष उच्चतम स्तर पर उठाना चाहिए।

समिति यह जानकर व्यथित हुई कि पंचायती राज मंत्रालय के संबंध में वर्ष 2023-24 के लिए बजटीय अनुमान, मंत्रालय द्वारा दी गई मांग से 153 करोड़ रूपये कम है।
पंचायती राज मंत्रालय के अनुसार, आगामी वर्ष 2023-24 के लिए प्रमुख प्राथमिकताएं सुशासन और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्ति के लिए पंचायतों की क्षमताओं को बढ़ाना है।
मंत्रालय की समग्र योजना अर्थात राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान का उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करना है। इसके अलावा पंचायती राज संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण के लिए अनिवार्य है जिन्हें 2030 तक प्राप्त किया जाना है।

समिति ने कहा, ‘‘फिर भी एसडीजी को प्राप्त करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं को सुदृढ़ और सशक्त बनाने संबंधी अधिदेश की तुलना में मंत्रालय को किया गया आवंटन अपर्याप्त है।’’
इस संबंध में समिति यह नोट करती है कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पंचायती राज मंत्रालय के 1169.69 करोड़ रूपये के प्रस्तावित बजट की तुलना में वित्त मंत्रालय ने 1016.42 करोड़ रूपये की राशि मंजूरी की जिसके कारण मंत्रालय कुछ क्षेत्रों में खर्च पर समझौता करने के लिए मजबूर है।

रिपोर्ट के अनुसार, चूंकि मंत्रालय नीतिगत उपायों, क्षमता निर्माण आदि के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं के कामकाज में सुधार का प्रयास करता है, इसलिए समिति का मानना है कि मंत्रालय को उसकी प्राथमिकताओं को वास्तविक रूप देने के लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन किया जाना आवश्यक है।

समिति ने सिफारिश की कि मंत्रालय को यह मुद्दा वित्त मंत्रालय के समक्ष उच्चतम स्तर पर उठाना चाहिए।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति यह स्वीकार करती है कि पंचायती राज संस्थाओं के क्षमता निर्माण का देश के ग्रामीण विकास पर आनुपातिक प्रभाव पड़ता है। मंत्रालय द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उसकी योजनाओं/कार्यक्रमों के लिए बजटीय आवंटनों का समय पर और प्रभावी ढंग से खर्च करना अनिवार्य है।

समिति ने हालांकि, इस तथ्य पर खेद जताया है कि मंत्रालय के खर्च का तरीका संतोषजनक नहीं रहा है।

इसमें कहा गया है कि पिछले वर्षों के दौरान मंत्रालय के खर्च के तरीके के विश्लेषण से पता चलता है कि वर्ष 2019-20 से 2021-22 तक संशोधित अनुमान चरण में हर साल बजट अनुमानों को कम किया गया है तथा बजट अनुमानों की तुलना में वास्तविक व्यय बहुत कम रहा है।
उदाहरण के लिए वर्ष 2021-22 में 913.44 करोड़ रूपये के बजट अनुमान की तुलना में संशोधित अनुमान को घटाकर 868.38 करोड़ रूपये कर दिया गया और मंत्रालय ने बजट अनुमान से 48.60 करोड़ रूपये वापस कर दिये।

इसी प्रकार से, वर्ष 2022-23 में मंत्रालय संशोधित अनुमान स्तर पर आवंटित 905.77 करोड़ रूपये में से केवल 701.04 करोड़ रूपये ही खर्च कर सका।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

PTI News Agency

Recommended News