केंद्र वन्यजीवों के वास स्थल में टाइगर सफारी और चिड़ियाघर बनाने संबंधी दिशानिर्देशों को बदले या वापस ले : समिति
punjabkesari.in Tuesday, Feb 07, 2023 - 03:24 PM (IST)

नयी दिल्ली, सात फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से कहा है कि टाइगर रिजर्व और वन्य जीव अभयारण्य में चिड़ियाघर या सफारी शुरू करने संबंधी दिशानिर्देशों को वापस ले या संसोधित करे ताकि वन्य जीवों के प्राकृतिक वास स्थल में पर्यटन गतिविधियों को हतोत्साहित किया जा सके।
केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने उच्चतम न्यायालय में पिछले महीने जमा अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि टाइगर रिजर्व और संरक्षित क्षेत्र में चिड़ियाघर स्थापित करने या सफारी की दी गई अनुमति को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
समिति ने कहा कि केवल ऐसे स्थान पर घायल या अशक्त जानवरों को बचाने या पुनर्वास के लिए गतिविधियों की मंजूरी दी जा सकती है।
उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति ने यह टिप्पणी उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बफर जोन में टाइगर सफारी स्थापित किए जाने से जुड़े मामले में की है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा वर्ष 2012 में जारी और वर्ष 2016 व 2019 में संशोधित दिशानिर्देश के मुताबिक टाइगर रिजर्व के बफर जोन या उससे जुड़े क्षेत्र में टाइगर सफारी की शुरुआत की जा सकती है, ताकि ‘‘ मुख्य और अहम बाघ पर्यावासों पर से पर्यटन का दबाव कम किया जा सके और बाघ संरक्षण के प्रति सार्वजनिक समर्थन के लिए जागरूकता पैदा की जा सके।’’
मंत्रालय ने भी पिछले साल जून में वन संरक्षण अधिनियम-1980 के तहत आवश्यक मंजूरी को खत्म करते हुए कहा था कि वनक्षेत्र में चिड़ियाघर की स्थापना को गैर वन गतिविधि नहीं माना जाना चाहिए। उसने कहा था कि केवल अपवाद स्वरूप मामले में ही संरक्षित क्षेत्र के बफर जोन या जुड़े हुए इलाके में वन भूमि पर चिड़ियाघर के निर्माण पर विचार किया जा सकता है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने उच्चतम न्यायालय में पिछले महीने जमा अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि टाइगर रिजर्व और संरक्षित क्षेत्र में चिड़ियाघर स्थापित करने या सफारी की दी गई अनुमति को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
समिति ने कहा कि केवल ऐसे स्थान पर घायल या अशक्त जानवरों को बचाने या पुनर्वास के लिए गतिविधियों की मंजूरी दी जा सकती है।
उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति ने यह टिप्पणी उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बफर जोन में टाइगर सफारी स्थापित किए जाने से जुड़े मामले में की है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा वर्ष 2012 में जारी और वर्ष 2016 व 2019 में संशोधित दिशानिर्देश के मुताबिक टाइगर रिजर्व के बफर जोन या उससे जुड़े क्षेत्र में टाइगर सफारी की शुरुआत की जा सकती है, ताकि ‘‘ मुख्य और अहम बाघ पर्यावासों पर से पर्यटन का दबाव कम किया जा सके और बाघ संरक्षण के प्रति सार्वजनिक समर्थन के लिए जागरूकता पैदा की जा सके।’’
मंत्रालय ने भी पिछले साल जून में वन संरक्षण अधिनियम-1980 के तहत आवश्यक मंजूरी को खत्म करते हुए कहा था कि वनक्षेत्र में चिड़ियाघर की स्थापना को गैर वन गतिविधि नहीं माना जाना चाहिए। उसने कहा था कि केवल अपवाद स्वरूप मामले में ही संरक्षित क्षेत्र के बफर जोन या जुड़े हुए इलाके में वन भूमि पर चिड़ियाघर के निर्माण पर विचार किया जा सकता है।
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