जोशीमठ में भूमि धंसने के प्रभाव को कम करने के लिए प्रयास जारी

punjabkesari.in Friday, Feb 03, 2023 - 03:47 PM (IST)

नयी दिल्ली, तीन फरवरी (भाषा) उत्तराखंड के जोशीमठ में भूमि-धंसान के प्रभाव को कम करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार सभी संबंधित एजेंसियों के साथ मिल कर काम कर रही हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में चमोली जिले के जोशीमठ में भूमि धंसने की वजह से कई मकानों में गहरी दरारें पड़ी हैं।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार, जोशीमठ में 863 मकानों में गहरी दरारें आई हैं और लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 296 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

सिंह ने बताया ‘‘राज्य सरकार ने प्रत्येक प्रभावित परिवार को पुनर्वास के लिए अग्रिम राशि के तौर पर एक लाख रुपये और विस्थापन भत्ते के रूप में 50,000 रुपये देने के आदेश दिए हैं। इसके लिए 45 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। 30 जनवरी की स्थिति के अनुसार, 235 प्रभावित परिवारों को राहत सहायता के तौर पर 3.50 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।’’
उन्होंने बताया कि प्रभावित परिवारों के लिए अस्थायी आवास की व्यवस्था की गई है जिसके लिए प्रति कमरा प्रतिदिन 950 रुपये और भोजन के लिए 450 रुपये प्रति व्यक्ति दिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन अस्थायी आवास का लाभ नहीं लेने वाले प्रभावित परिवारों को छह माह तक 5,000 रुपये प्रति माह तक सहायता दी जा रही है। राहत शिविरों में रह रहे लोगों को मुफ्त इलाज एवं दवा की सुविधा भी प्रदान की गई है।

एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सरकार ने विभिन्न अनुसंधान संस्थानों जैसे राष्ट्रीय भू-भौतिकी अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) हैदराबाद, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीआईएस) कोलकाता, वाडिया इन्स्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी) देहरादून, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) रुड़की, केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) फरीदाबाद, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की, भारतीय रिमोट सेंसिंग संस्थान (आईआईआरएस) देहरादून और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की को अलग अलग दायित्व सौंपे हैं।

सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) भी उन्हें तकनीकी परामर्श प्रदान कर रहा है। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों को स्थिति तथा इसकी वजह से होने वाले नुकसान का आकलन करने, इसके कारकों और सहायक कारणों का अध्ययन करने का जिम्मा सौंपा गया है।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

PTI News Agency

Recommended News