एनईपी सभ्यता पर आधारित ज्ञान को समकालीन जीवन के लिये प्रासंगिक बनाते हैं : राष्ट्रपति
punjabkesari.in Wednesday, Jan 25, 2023 - 09:02 PM (IST)

नयी दिल्ली, 25 जनवरी (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)शिक्षार्थियों को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार करते हुए देश की सभ्यता पर आधारित ज्ञान को समकालीन जीवन के लिए प्रासंगिक बनाते हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू ने देश के 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में कहा, ‘‘हमारा अंतिम लक्ष्य का ऐसा वातावरण बनाना है जिससे सभी नागरिक व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग करें और उनका जीवन फले फूले। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए शिक्षा की आधारशिला तैयार करती है।’’ उन्होंने कहा कि इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में महत्वकांक्षी परिवर्तन किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के दो प्रमुख उद्देश्य कहे जा सकते हैं जिसमें पहला आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण तथा दूसरा सत्य की खोज है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ राष्ट्रीय शिक्षा नीति इन दोनों लक्ष्यों को प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करती है। यह नीति शिक्षार्थियों को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार करते हुए हमारी सभ्यता पर आधारित ज्ञान को समकालीन जीवन के लिए प्रासंगिक बनाते हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस नीति में शिक्षा प्रक्रिया को विस्तार और गहराई प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया है।
गौरतलब है कि सरकार ने नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अगस्त 2020 में मंजूरी दी थी और इसे 34 वर्ष पुरानी 1986 की शिक्षा नीति के स्थान पर लाया गया था । इसका मकसद स्कूली एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में परिवर्तनकारी बदलाव लाना और भारत को ज्ञान की महाशक्ति बनाना है।
मुर्मू ने कहा कि कोविड-19 के शुरुआती दौर में यह देखने को मिला कि प्रौद्योगिकी जीवन को बदलने की संभावना होती है।
उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया मिशन के तहत गांव और शहर की दूरी को समाप्त करने के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को समावेशी बनाने का प्रयास किया जा रहा है ।
राष्ट्रपति ने कहा कि दूर दराज के स्थानों में अधिक से अधिक लोग इंटरनेट का लाभ उठा रहे हैं तथा बुनियादी ढांचे में विस्तार से सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रहे विभिन्न प्रकार की सेवाएं लोगों को प्राप्त हो रही हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत अग्रणी देशों में एक रहा है तथा ‘‘हम सितारों तक पहुंच कर भी अपने पांव जमीन पर रखते हैं।’’
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में काफी समय से लंबित सुधार किए जा रहे हैं और अब निजी उद्यमों को इस विकास यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।
मुर्मू ने कहा, ‘‘ भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिए गगनयान कार्यक्रम प्रगति पर है। यह भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान होगी।’’
महिला सशक्तिकरण के सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का मंगल मिशन असाधारण महिलाओं की एक टीम द्वारा संचालित किया गया था और अन्य क्षेत्रों में भी बहन बेटियां पीछे नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ महिला सशक्तिकरण तथा महिला और पुरुष के बीच समानता अब केवल नारे नहीं रह गए हैं । हमने हाल के वर्षों में इन आदर्शों तक पहुंचने की दिशा में काफी प्रगति की है।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में लोगों की भागीदारी के बल पर हर कार्य क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है।
उन्होंने विभिन्न महिला प्रतिनिधि मंडलों से अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि महिलाएं ही आने वाले कल के भारत स्वरूप देने के लिए अधिकतम योगदान देंगी। यदि आधी आबादी को राष्ट्र निर्माण में अपनी क्षमता के अनुसार योगदान करने का अवसर दिया जाए और उन्हें प्रोत्साहित किया जाए, तो ऐसे कौन से चमत्कार हैं जो नहीं किए जा सकते हैं।’’
मुर्मू ने कहा कि सशक्तिकरण की यही दृष्टि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों सहित कमजोर वर्गों के लोगों के लिए सरकार की कार्यप्रणाली का मार्गदर्शन करते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य न केवल उन लोगों की जीवन की बाधाओं को दूर करना और उनके विकास में मदद करना है बल्कि उन समुदायों से सीखना भी है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ हम खासतौर पर जनजातीय समुदाय के लोग पर्यावरण की रक्षा से लेकर समाज को और अधिक एकजुट बनाने तक कई क्षेत्रों में सीख दे सकते हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने देश के 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में कहा, ‘‘हमारा अंतिम लक्ष्य का ऐसा वातावरण बनाना है जिससे सभी नागरिक व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग करें और उनका जीवन फले फूले। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए शिक्षा की आधारशिला तैयार करती है।’’ उन्होंने कहा कि इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में महत्वकांक्षी परिवर्तन किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के दो प्रमुख उद्देश्य कहे जा सकते हैं जिसमें पहला आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण तथा दूसरा सत्य की खोज है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ राष्ट्रीय शिक्षा नीति इन दोनों लक्ष्यों को प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करती है। यह नीति शिक्षार्थियों को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार करते हुए हमारी सभ्यता पर आधारित ज्ञान को समकालीन जीवन के लिए प्रासंगिक बनाते हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस नीति में शिक्षा प्रक्रिया को विस्तार और गहराई प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया है।
गौरतलब है कि सरकार ने नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अगस्त 2020 में मंजूरी दी थी और इसे 34 वर्ष पुरानी 1986 की शिक्षा नीति के स्थान पर लाया गया था । इसका मकसद स्कूली एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में परिवर्तनकारी बदलाव लाना और भारत को ज्ञान की महाशक्ति बनाना है।
मुर्मू ने कहा कि कोविड-19 के शुरुआती दौर में यह देखने को मिला कि प्रौद्योगिकी जीवन को बदलने की संभावना होती है।
उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया मिशन के तहत गांव और शहर की दूरी को समाप्त करने के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को समावेशी बनाने का प्रयास किया जा रहा है ।
राष्ट्रपति ने कहा कि दूर दराज के स्थानों में अधिक से अधिक लोग इंटरनेट का लाभ उठा रहे हैं तथा बुनियादी ढांचे में विस्तार से सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रहे विभिन्न प्रकार की सेवाएं लोगों को प्राप्त हो रही हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत अग्रणी देशों में एक रहा है तथा ‘‘हम सितारों तक पहुंच कर भी अपने पांव जमीन पर रखते हैं।’’
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में काफी समय से लंबित सुधार किए जा रहे हैं और अब निजी उद्यमों को इस विकास यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।
मुर्मू ने कहा, ‘‘ भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिए गगनयान कार्यक्रम प्रगति पर है। यह भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान होगी।’’
महिला सशक्तिकरण के सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का मंगल मिशन असाधारण महिलाओं की एक टीम द्वारा संचालित किया गया था और अन्य क्षेत्रों में भी बहन बेटियां पीछे नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ महिला सशक्तिकरण तथा महिला और पुरुष के बीच समानता अब केवल नारे नहीं रह गए हैं । हमने हाल के वर्षों में इन आदर्शों तक पहुंचने की दिशा में काफी प्रगति की है।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में लोगों की भागीदारी के बल पर हर कार्य क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है।
उन्होंने विभिन्न महिला प्रतिनिधि मंडलों से अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि महिलाएं ही आने वाले कल के भारत स्वरूप देने के लिए अधिकतम योगदान देंगी। यदि आधी आबादी को राष्ट्र निर्माण में अपनी क्षमता के अनुसार योगदान करने का अवसर दिया जाए और उन्हें प्रोत्साहित किया जाए, तो ऐसे कौन से चमत्कार हैं जो नहीं किए जा सकते हैं।’’
मुर्मू ने कहा कि सशक्तिकरण की यही दृष्टि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों सहित कमजोर वर्गों के लोगों के लिए सरकार की कार्यप्रणाली का मार्गदर्शन करते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य न केवल उन लोगों की जीवन की बाधाओं को दूर करना और उनके विकास में मदद करना है बल्कि उन समुदायों से सीखना भी है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ हम खासतौर पर जनजातीय समुदाय के लोग पर्यावरण की रक्षा से लेकर समाज को और अधिक एकजुट बनाने तक कई क्षेत्रों में सीख दे सकते हैं।
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