जी20 ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन जैसी ज्वलंत समस्याओं पर चर्चा का आदर्श मंच : राष्ट्रपति मुर्मू
punjabkesari.in Wednesday, Jan 25, 2023 - 08:25 PM (IST)

नयी दिल्ली, 25 जनवरी (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि जी20 समूह ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी ज्वलंत समस्याओं पर चर्चा करने और इसका समाधान तलाशने का आदर्श मंच है जिन समस्याओं से सबसे अधिक प्रभावित गरीब लोग होते हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू ने देश के 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘ शासन के सभी पहलुओं में बदलाव लाने और लोगों में रचनात्मक ऊर्जा को उजागर करने के लिए हाल के वर्षों में किए गए प्रयासों की श्रृंखला के परिणाम स्वरूप अब विश्व समुदाय भारत को सम्मान की दृष्टि से देखता है।’’ उन्होंने कहा कि विश्व के विभिन्न मंचों पर हमारी सक्रियता से सकारात्मक बदलाव आने शुरू हो गए हैं, विश्व मंच पर भारत में जो सम्मान अर्जित किया है उसके कारण देश को नए अवसर और जिम्मेदारियां भी मिली है।
उन्होंने कहा कि जैसा कि आप सब जानते हैं कि इस वर्ष भारत इस वर्ष जी20 देशों के समूह की अध्यक्षता कर रहा है।
मुर्मू ने कहा कि विश्व बंधुत्व के अपने आदर्श के अनुरूप ह‘‘म सभी की शांति और समृद्धि के पक्षधर हैं।’’ उन्होंने कहा कि जी20 की अध्यक्षता बहुपक्षता को बढ़ावा देने का अच्छा अवसर भी है, साथ ही एक बेहतर विश्व और बेहतर भविष्य को स्वरूप देने का उचित मंच भी है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ मुझे विश्वास है कि भारत के नेतृत्व में जी-20 अधिक न्यायपरक और स्थिरता से पूर्ण व्यवस्था के निर्माण के अपने प्रयासों को और बढ़ाने में सफल होगा।’’ उन्होंने कहा कि जी-20 के सदस्य देशों का कुल मिलाकर विश्व की आबादी में लगभग दो-तिहाई और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 85 प्रतिशत होता है, इसलिए यह वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा करने और उनके समाधान के लिए एक आदर्श मंच है।
मुर्मू ने कहा, ‘‘ मेरे विचार से ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन ऐसी चुनौतियां हैं जिनका समाधान शीघ्र करना है।’’
उन्होंने कहा कि वैश्विक तापमान बढ़ रहा है और मौसम में बदलाव के चरम रूप दिखाई पड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे सामने एक गंभीर दुविधा है कि अधिक से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के लिए आर्थिक विकास जरूरी है और इस विकास के लिए जीवाश्म ईंधन का प्रयोग भी करना पड़ता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों को नीतिगत प्रोत्साहन देकर इस दिशा में सराहनीय कदम उठाया है। हालांकि वैश्विक स्तर पर विकसित देशों द्वारा प्रद्योगिकी हस्तांतरण और वित्तीय सहायता के जरिए उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को सहायता प्रदान करने की जरूरत है।
स्वस्थ जीवनशैली के महत्व को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे इस धरती पर सुखमय जीवन बिताएं तो हमें अपनी जीवन शैली को बदलने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में सुझाए गए परिवर्तनों में से एक बदलाव भोजन से संबंधित है।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि संयुक्त राष्ट्र ने भारत के सुझाव को स्वीकार किया है और वर्ष 2030 को मोटे अनाज आज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया है।
उन्होंने कहा कि बाजरा जैसे मोटे अनाज हमारे आहार के मुख्य तत्व हुआ करते थे और समाज का सभी वर्ग उन्हें फिर से पसंद करने लगे हैं।
मुर्मू ने कहा कि ऐसे अनाज पर्यावरण अनुकूल हैं क्योंकि उनकी उपज कम पानी में ही हो जाती है।
उन्होंने कहा कि यह अनाज उच्च स्तर पर पोषण भी प्रदान करते हैं और यदि अधिक से अधिक लोग मोटे अनाज को भोजन में शामिल करेंगे तो पर्यावरण संरक्षण में सहायता होगी और लोगों के स्वास्थ्य में भी सुधार होगा।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने देश के 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘ शासन के सभी पहलुओं में बदलाव लाने और लोगों में रचनात्मक ऊर्जा को उजागर करने के लिए हाल के वर्षों में किए गए प्रयासों की श्रृंखला के परिणाम स्वरूप अब विश्व समुदाय भारत को सम्मान की दृष्टि से देखता है।’’ उन्होंने कहा कि विश्व के विभिन्न मंचों पर हमारी सक्रियता से सकारात्मक बदलाव आने शुरू हो गए हैं, विश्व मंच पर भारत में जो सम्मान अर्जित किया है उसके कारण देश को नए अवसर और जिम्मेदारियां भी मिली है।
उन्होंने कहा कि जैसा कि आप सब जानते हैं कि इस वर्ष भारत इस वर्ष जी20 देशों के समूह की अध्यक्षता कर रहा है।
मुर्मू ने कहा कि विश्व बंधुत्व के अपने आदर्श के अनुरूप ह‘‘म सभी की शांति और समृद्धि के पक्षधर हैं।’’ उन्होंने कहा कि जी20 की अध्यक्षता बहुपक्षता को बढ़ावा देने का अच्छा अवसर भी है, साथ ही एक बेहतर विश्व और बेहतर भविष्य को स्वरूप देने का उचित मंच भी है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ मुझे विश्वास है कि भारत के नेतृत्व में जी-20 अधिक न्यायपरक और स्थिरता से पूर्ण व्यवस्था के निर्माण के अपने प्रयासों को और बढ़ाने में सफल होगा।’’ उन्होंने कहा कि जी-20 के सदस्य देशों का कुल मिलाकर विश्व की आबादी में लगभग दो-तिहाई और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 85 प्रतिशत होता है, इसलिए यह वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा करने और उनके समाधान के लिए एक आदर्श मंच है।
मुर्मू ने कहा, ‘‘ मेरे विचार से ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन ऐसी चुनौतियां हैं जिनका समाधान शीघ्र करना है।’’
उन्होंने कहा कि वैश्विक तापमान बढ़ रहा है और मौसम में बदलाव के चरम रूप दिखाई पड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे सामने एक गंभीर दुविधा है कि अधिक से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के लिए आर्थिक विकास जरूरी है और इस विकास के लिए जीवाश्म ईंधन का प्रयोग भी करना पड़ता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों को नीतिगत प्रोत्साहन देकर इस दिशा में सराहनीय कदम उठाया है। हालांकि वैश्विक स्तर पर विकसित देशों द्वारा प्रद्योगिकी हस्तांतरण और वित्तीय सहायता के जरिए उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को सहायता प्रदान करने की जरूरत है।
स्वस्थ जीवनशैली के महत्व को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे इस धरती पर सुखमय जीवन बिताएं तो हमें अपनी जीवन शैली को बदलने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में सुझाए गए परिवर्तनों में से एक बदलाव भोजन से संबंधित है।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि संयुक्त राष्ट्र ने भारत के सुझाव को स्वीकार किया है और वर्ष 2030 को मोटे अनाज आज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया है।
उन्होंने कहा कि बाजरा जैसे मोटे अनाज हमारे आहार के मुख्य तत्व हुआ करते थे और समाज का सभी वर्ग उन्हें फिर से पसंद करने लगे हैं।
मुर्मू ने कहा कि ऐसे अनाज पर्यावरण अनुकूल हैं क्योंकि उनकी उपज कम पानी में ही हो जाती है।
उन्होंने कहा कि यह अनाज उच्च स्तर पर पोषण भी प्रदान करते हैं और यदि अधिक से अधिक लोग मोटे अनाज को भोजन में शामिल करेंगे तो पर्यावरण संरक्षण में सहायता होगी और लोगों के स्वास्थ्य में भी सुधार होगा।
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