लोकसभा में भाजपा के एक सांसद ने धर्मांतरण का मुद्दा उठाया
Thursday, Dec 08, 2022 - 06:59 PM (IST)
नयी दिल्ली, आठ दिसंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद सुनील कुमार सिंह ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में धर्मांतरण का मुद्दा उठाया और इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की मांग की। उन्होंने दावा किया कि इसके कारण आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं।
लोकसभा में नियम 377 के तहत उठाये जाने वाले मुद्दे के माध्यम से सिंह ने कहा कि धर्मांतरण समाज और देश की दिशा को बदल रहा है।
उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधियों से जुड़े संगठन पिछड़ा वर्ग के लोगों को निशाना बनाते हैं और ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जिनमें धर्मांतरण के कारण लोगों ने आत्महत्या की है।
भाजपा सांसद ने कहा कि एक साजिश के तहत लोगों को यह सोचने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे हिन्दू नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ में यह एक बहुत गंभीर समस्या है, जहां आदिवासी और दलित समुदाय के लोगों की संख्या अधिक है।
सिंह ने कहा कि इसलिये वह धर्मांतरण के खिलाफ कड़े कानून की मांग कर रहे हैं ।
असम से सांसद दिलीप सैकिया ने मुगलों का मुकाबला करने वाले राज्य के स्वतंत्रता सेनानी लचित बोड़फूकन के योगदान को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों में शामिल करने की मांग की।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
लोकसभा में नियम 377 के तहत उठाये जाने वाले मुद्दे के माध्यम से सिंह ने कहा कि धर्मांतरण समाज और देश की दिशा को बदल रहा है।
उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधियों से जुड़े संगठन पिछड़ा वर्ग के लोगों को निशाना बनाते हैं और ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जिनमें धर्मांतरण के कारण लोगों ने आत्महत्या की है।
भाजपा सांसद ने कहा कि एक साजिश के तहत लोगों को यह सोचने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे हिन्दू नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ में यह एक बहुत गंभीर समस्या है, जहां आदिवासी और दलित समुदाय के लोगों की संख्या अधिक है।
सिंह ने कहा कि इसलिये वह धर्मांतरण के खिलाफ कड़े कानून की मांग कर रहे हैं ।
असम से सांसद दिलीप सैकिया ने मुगलों का मुकाबला करने वाले राज्य के स्वतंत्रता सेनानी लचित बोड़फूकन के योगदान को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों में शामिल करने की मांग की।
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