‘बॉन्ड’ नीति का विरोध कर रहे मेडिकल छात्रों से बुधवार को मिलेंगे खट्टर
punjabkesari.in Tuesday, Nov 29, 2022 - 10:35 PM (IST)

चंडीगढ़, 29 नवंबर (भाषा) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर राज्य सरकार की ‘बॉन्ड’ नीति का विरोध कर रहे मेडिकल छात्रों से बुधवार को मुलाकात करेंगे। एक आंदोलनकारी छात्र ने यह जानकारी दी।
आंदोलनकारी छात्रों और हरियाणा सरकार के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में कोई नतीजा नहीं निकलने के कुछ दिनों बाद यह घटनाक्रम सामने आया है।
इस नीति का विरोध कर रहे मेडिकल छात्र अनुज धनिया ने कहा कि बुधवार को दोपहर 1.30 बजे चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री के साथ बैठक होगी।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित बैठक के संबंध में रोहतक स्थित पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीजीआईएमएस) के निदेशक द्वारा पहले ही एक परिपत्र जारी किया जा चुका है।
पीजीआईएमएस-रोहतक और हरियाणा के कुछ अन्य मेडिकल कॉलेजों के छात्र इस नीति के खिलाफ पिछले तीन सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं। पीजीआईएमएस रोहतक के रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी आंदोलनरत छात्रों का समर्थन किया है।
एमबीबीएस छात्रों की मांगों में अनिवार्य सरकारी सेवा की अवधि को सात साल से घटाकर एक साल करना भी शामिल है।
सरकार की ‘बॉन्ड’ नीति के अनुसार, सरकारी संस्थानों में एमबीबीएस छात्रों को दाखिला के समय शुल्क सहित 40 लाख रुपये का त्रिपक्षीय समझौता (बैंक और सरकार के साथ) करना होगा।
इस नीति का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि मेडिकल छात्र सात साल तक सरकारी अस्पतालों में काम करें। इस नीति के तहत यदि कोई छात्र अपने पाठ्यक्रम के पूरा होने के बाद राज्य के अस्पतालों में काम नहीं करने का विकल्प चुनता है, तो उसे पूरी राशि का भुगतान करना होगा।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
आंदोलनकारी छात्रों और हरियाणा सरकार के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में कोई नतीजा नहीं निकलने के कुछ दिनों बाद यह घटनाक्रम सामने आया है।
इस नीति का विरोध कर रहे मेडिकल छात्र अनुज धनिया ने कहा कि बुधवार को दोपहर 1.30 बजे चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री के साथ बैठक होगी।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित बैठक के संबंध में रोहतक स्थित पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीजीआईएमएस) के निदेशक द्वारा पहले ही एक परिपत्र जारी किया जा चुका है।
पीजीआईएमएस-रोहतक और हरियाणा के कुछ अन्य मेडिकल कॉलेजों के छात्र इस नीति के खिलाफ पिछले तीन सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं। पीजीआईएमएस रोहतक के रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी आंदोलनरत छात्रों का समर्थन किया है।
एमबीबीएस छात्रों की मांगों में अनिवार्य सरकारी सेवा की अवधि को सात साल से घटाकर एक साल करना भी शामिल है।
सरकार की ‘बॉन्ड’ नीति के अनुसार, सरकारी संस्थानों में एमबीबीएस छात्रों को दाखिला के समय शुल्क सहित 40 लाख रुपये का त्रिपक्षीय समझौता (बैंक और सरकार के साथ) करना होगा।
इस नीति का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि मेडिकल छात्र सात साल तक सरकारी अस्पतालों में काम करें। इस नीति के तहत यदि कोई छात्र अपने पाठ्यक्रम के पूरा होने के बाद राज्य के अस्पतालों में काम नहीं करने का विकल्प चुनता है, तो उसे पूरी राशि का भुगतान करना होगा।
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