न्यायाधीशों की संख्या दोगुनी करने की जनहित याचिका पर विचार करने से न्यायालय का इनकार
punjabkesari.in Tuesday, Nov 29, 2022 - 08:42 PM (IST)
नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें केंद्र और सभी राज्यों को अधीनस्थ न्यायपालिका तथा उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए न्यायाधीशों की संख्या दोगुनी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
न्यायालय ने कहा कि ऐसे कदमों से समाधान नहीं निकल सकता।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा ने मौखिक रूप से कहा, ‘‘और अधिक न्यायाधीश नियुक्त करने से हल नहीं निकलेगा।’’
इसके बाद याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने अपनी जनहित याचिका वापस ले ली।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि केवल न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाना समाधान नहीं है, आपको अच्छे न्यायाधीशों की जरूरत है।
जब उपाध्याय ने अपनी दलीलें शुरू कीं तो पीठ ने कहा कि इस तरह के समाधान से हल नहीं निकलेगा।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका के अनुसार 320 पद होने चाहिए जो अपने मौजूदा 160 स्वीकृत पदों को नहीं भर पा रहा।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
न्यायालय ने कहा कि ऐसे कदमों से समाधान नहीं निकल सकता।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा ने मौखिक रूप से कहा, ‘‘और अधिक न्यायाधीश नियुक्त करने से हल नहीं निकलेगा।’’
इसके बाद याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने अपनी जनहित याचिका वापस ले ली।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि केवल न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाना समाधान नहीं है, आपको अच्छे न्यायाधीशों की जरूरत है।
जब उपाध्याय ने अपनी दलीलें शुरू कीं तो पीठ ने कहा कि इस तरह के समाधान से हल नहीं निकलेगा।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका के अनुसार 320 पद होने चाहिए जो अपने मौजूदा 160 स्वीकृत पदों को नहीं भर पा रहा।
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