जमीयत के महाधिवेशन में मुसलमानों के लिए आरक्षण, नफरती अभियानों समेत कई मुद्दों पर होगी चर्चा
Tuesday, Nov 29, 2022 - 08:30 PM (IST)
नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम समूह) के अगले साल फरवरी में होने वाले 34वें महाधिवेशन में ‘इस्लामोफोबिया’, मुसलमानों के लिए आरक्षण और वक्फ संपत्तियों के संरक्षण समेत समुदाय से संबंधित अन्य मुद्दों पर चर्चा कर आगे की कार्य योजना तैयार की जाएगी।
महमूद मदनी की अगुवाई वाले जमीयत ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा कि 10-12 फरवरी 2023 को यहां रामलीला मैदान में होने वाला महाधिवेशन देश की “वर्तमान स्थिति” के मद्देनज़र काफी अहम है।
मुस्लिम संगठन की ओर से जारी इस बयान में बताया गया है कि महाधिवेशन में देश में “बढ़ते नफरती अभियान”, इस्लामोफोबिया, नरसंहार की धमकियों, स्वतंत्र इस्लामी मदरसों के संबंध में जारी ‘‘सरकारी कार्रवाइयों” पर चर्चा की जाएगी।
बयान के मुताबिक, मदनी की अध्यक्षता में होने वाले कार्यक्रम में “मुसलमानों के लिए आरक्षण, अल्पसंख्यकों के शैक्षिक और आर्थिक अधिकारों और मुसलमानों की वक्फ संपत्तियों के संरक्षण के उपायों पर कार्य योजना तय की जाएगी।”
बयान के अनुसार, संगठन के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने बताया कि महाधिवेशन में इस्लामी शिक्षाओं के संबंध में गलतफहमी को दूर करने और पैगंबर मोहम्मद के अपमान की घटनाओं को रोकने के उपायों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
महमूद मदनी की अगुवाई वाले जमीयत ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा कि 10-12 फरवरी 2023 को यहां रामलीला मैदान में होने वाला महाधिवेशन देश की “वर्तमान स्थिति” के मद्देनज़र काफी अहम है।
मुस्लिम संगठन की ओर से जारी इस बयान में बताया गया है कि महाधिवेशन में देश में “बढ़ते नफरती अभियान”, इस्लामोफोबिया, नरसंहार की धमकियों, स्वतंत्र इस्लामी मदरसों के संबंध में जारी ‘‘सरकारी कार्रवाइयों” पर चर्चा की जाएगी।
बयान के मुताबिक, मदनी की अध्यक्षता में होने वाले कार्यक्रम में “मुसलमानों के लिए आरक्षण, अल्पसंख्यकों के शैक्षिक और आर्थिक अधिकारों और मुसलमानों की वक्फ संपत्तियों के संरक्षण के उपायों पर कार्य योजना तय की जाएगी।”
बयान के अनुसार, संगठन के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने बताया कि महाधिवेशन में इस्लामी शिक्षाओं के संबंध में गलतफहमी को दूर करने और पैगंबर मोहम्मद के अपमान की घटनाओं को रोकने के उपायों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।