दिल्ली वन विभाग ने आध्यात्मिक कार्यक्रम के लिए अभयारण्य में वाहनों की आवाजाही की अनुमति दी

punjabkesari.in Monday, Nov 28, 2022 - 04:48 PM (IST)

नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) दिल्ली सरकार के वन विभाग ने हरियाणा के लोगों को एक आध्यात्मिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य से गुजरने वाली सड़क पर वाहनों की आवाजाही की अनुमति दे दी।

आयोजक राधा स्वामी सत्संग ब्यास ने कहा है कि वन और वन्यजीव विभाग ने उसे 2.5 लाख रुपये जमा करने और 5,000 पौधे लगाने की शर्त पर तीन दिवसीय कार्यक्रम के लिए सड़क का इस्तेमाल करने की अनुमति दी।

वन्यजीव संरक्षण कानून, 1972 के अनुसार मुख्य वन्यजीव वार्डन आवेदन पर किसी भी व्यक्ति को ‘‘वन्यजीव के अध्ययन या जांच, फोटोग्राफी, वैज्ञानिक अनुसंधान, पर्यटन या वैध व्यवसाय के संचालन के लिए वहां प्रवेश करने या अभयारण्य में रहने वाले किसी भी व्यक्ति के साथ निवास करने की अनुमति दे सकता है।’’
किसी अभयारण्य में प्रवेश करने या निवास करने का परमिट ऐसी शर्तों के अधीन जारी किया जाता है और इस तरह के शुल्क के भुगतान पर निर्धारित किया जा सकता है जिसका प्रावधान अधिनियम में है।

सूत्रों ने कहा कि यह निर्णय आश्चर्यजनक है क्योंकि राधा स्वामी सत्संग ब्यास का दक्षिणी दिल्ली परिसर सीधे गुरुग्राम और फरीदाबाद से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि जिस सड़क के लिए अनुमति दी गई, उसका इस्तेमाल केवल गश्त के लिए किया जाता है। वन विभाग के एक सूत्र ने कहा, ‘‘यह पहली बार है जब चार मीटर चौड़ी सड़क पर यातायात की अनुमति दी गई, जिसका इस्तेमाल केवल गश्त के लिए किया जाता है।’’
राधा स्वामी सत्संग ब्यास, भाटी, के महासचिव एच सी यादव ने कहा कि उन्होंने गुरुग्राम और फरीदाबाद के यात्रियों को लेकर यात्रा में आसानी के लिए अभयारण्य से गुजरने वाली सड़क का इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी।

उन्होंने कहा कि संगठन के दक्षिणी दिल्ली परिसर को गुरुग्राम और फरीदाबाद से जोड़ने वाली मुख्य सड़कों पर सत्संग के समय लंबा जाम रहता है। यादव ने कहा, ‘‘हमें 2.5 लाख रुपये जमा करने के बाद कार्यक्रम के लिए सड़क का इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई थी। हमें 5,000 पौधे लगाने के लिए भी कहा गया है।’’
वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि शुल्क का भुगतान करने के बाद वाहन केवल दिन में अभयारण्य में प्रवेश कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि, वाहन की क्षमता और अभयारण्य में प्रवेश करने के उद्देश्य का भी पता लगाने की जरूरत है।



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PTI News Agency

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