नागरिकों की पहली प्राथमिकता मौलिक कर्तव्यों का पालन होना चाहिए: प्रधानमंत्री

punjabkesari.in Saturday, Nov 26, 2022 - 03:45 PM (IST)

नयी दिल्ली, 26 नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि ऐसे में जबकि देश अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ रहा है, राष्ट्र को और अधिक ऊंचाई पर ले जाने के लिए मौलिक कर्तव्यों का पालन करना नागरिकों की पहली प्राथमिकता होना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय में संविधान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है जो तेजी से विकास और आर्थिक वृद्धि हासिल कर रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश अगले हफ्ते जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करने वाला है और यह भारत के लिए दुनिया के समक्ष अपना योगदान पेश करने का एक बड़ा अवसर है।

मोदी ने कहा, ‘‘टीम इंडिया के रूप में, हमें विश्व मंच पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने की दिशा में काम करना चाहिए और दुनिया में देश के योगदान को उजागर करना चाहिए। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।’’
उन्होंने कहा कि उन्हें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि लोकतंत्र की जननी के रूप में देश अपने प्राचीन आदर्शों और संविधान की भावना को मजबूत कर रहा है और जनहितकारी नीतियां देश के गरीबों और महिलाओं को सशक्त बना रही हैं।

मोदी ने कहा, ‘‘संविधान की प्रस्तावना के पहले तीन शब्द - ‘वी द पीपल’ (हम लोग) - एक आह्वान, विश्वास और शपथ हैं। संविधान की यह भावना भारत की आत्मा है जो दुनिया में लोकतंत्र की जननी है। आधुनिक समय में, संविधान ने राष्ट्र की सभी सांस्कृतिक और नैतिक भावनाओं को अपनाया है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपनी स्थिरता को लेकर शुरुआती आशंकाओं को दरकिनार करते हुए पूरी ताकत से आगे बढ़ रहा है और अपनी विविधता पर गर्व कर रहा है।

मोदी ने महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए कहा कि मौलिक अधिकार वे जिम्मेदारियां हैं जिन्हें नागरिकों को अत्यंत समर्पण और सच्ची ईमानदारी के साथ पूरा करना चाहिए।

उन्होंने अमृत काल यानी एक विकसित राष्ट्र के रूप में उभरने के लिए अगले 25 वर्षों की यात्रा को ‘कर्तव्य काल’ - मौलिक कर्तव्यों को पूरा करने का युग करार दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आजादी का अमृत काल देश के प्रति कर्तव्य का समय है। लोग हों या संस्थान, हमारे कर्तव्य हमारी पहली प्राथमिकता हैं।’’ उन्होंने कहा कि कर्तव्य के पथ पर चलकर देश विकास की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकता है।

मोदी ने समानता और सशक्तिकरण जैसे विषयों की बेहतर समझ के लिए युवाओं में संविधान के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

मोदी ने 2008 में हुए 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों को भी याद किया जो तब हुआ जब भारत संविधान को अंगीकार करने का जश्न मना रहा था।

प्रधानमंत्री ने ई-अदालत परियोजना के तहत नयी पहल भी शुरू कीं, जो सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सक्षम अदालतों के माध्यम से वादियों, वकीलों और न्यायपालिका को सेवाएं प्रदान करती हैं।

मोदी द्वारा शुरू की गई पहलों में ''वर्चुअल जस्टिस क्लॉक'', ''जस्टआईएस'' मोबाइल ऐप 2.0, डिजिटल कोर्ट और ''एस3डब्ल्यूएएस'' वेबसाइट शामिल हैं।

संविधान दिवस समारोह में भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, कानून मंत्री किरेन रीजीजू, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने भाग लिया।



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