न्यायालय ने किशोर न्याय कानून में संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया

punjabkesari.in Monday, Sep 26, 2022 - 05:51 PM (IST)

नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने किशोर न्याय कानून, 2015 में हालिया संशोधन को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सोमवार को केंद्र से जवाब मांगा। संशोधन में बच्चों के खिलाफ कुछ श्रेणियों के अपराधों को गैर-संज्ञेय बनाया गया है।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा।

उच्चतम न्यायालय किशोर न्याय कानून, 2015 में किए गए संशोधन को चुनौती देने वाली दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग की याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

याचिका में संशोधित कानून की धारा 26 को चुनौती दी गई है जिसके तहत तीन साल से सात साल तक की कैद की सजा वाले दंडनीय अपराधों को गैर-संज्ञेय के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
संशोधित कानून के अनुसार, गंभीर अपराधों में वे अपराध शामिल होंगे जिनके लिए अधिकतम सात साल तक की कैद का प्रावधान है।

संज्ञेय अपराध, अपराधों की एक श्रेणी है जिसमें पुलिस बिना किसी वारंट के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है, जबकि गैर-संज्ञेय अपराध में अदालती वारंट के साथ ही किसी को गिरफ्तार किया जा सकता है।

याचिका में दावा किया गया है कि कानून में संशोधन से पुलिस किशोर अपराधियों की जांच और उन्हें गिरफ्तार करने की शक्ति से वंचित हो गई है।



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PTI News Agency

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