याचिकाकर्ता को पुनर्विचार याचिका में खारिज तर्कों को दोहराने की अनुमति नहीं : न्यायालय

punjabkesari.in Friday, Aug 19, 2022 - 09:59 AM (IST)

नयी दिल्ली, 18 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने साढ़े पांच दशक पुराने भूमि विवाद मामले का निर्धारण करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि पुनर्विचार याचिका की आड़ में पहले के फैसले को फिर से खोलने के लिए ‘पुरानी और खारिज की जा चुकी दलीलों’ को दोहराने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
शीर्ष अदालत ने नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के तहत एक दीवानी विवाद में एक फैसले की समीक्षा की मांग से संबंधित कानून के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि यह लगातार माना जाता रहा है कि ‘न्यायालय के पुनर्विचार का अधिकार क्षेत्र अपील के समान नहीं है।’
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि समीक्षा की शक्तियों का इस्तेमाल करने की आड़ में, अदालत एक गलती को सुधार सकती है, लेकिन पहले के दृष्टिकोण को प्रतिस्थापित नहीं कर सकती है, क्योंकि ऐसे में एक मामले में दो विचार सामने आने की संभावना बनती है।

यह देखते हुए कि एक ही आदेश के खिलाफ लगातार समीक्षा याचिकाओं का सहारा लेना अस्वीकार्य है, शीर्ष अदालत ने भूमि विवाद में दायर समीक्षा याचिकाओं के दूसरे सेट पर पारित तेलंगाना उच्च न्यायालय के 29 अप्रैल, 2022 के आदेश को रद्द कर दिया।



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