शीर्ष न्यायालय ने हेमंत सोरेन के खिलाफ कार्यवाही करने से झारखंड उच्च न्यायालय को रोका

Wednesday, Aug 17, 2022 - 06:54 PM (IST)

नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने झारखंड उच्च न्यायालय को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ जांच का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर कार्यवाही करने से बुधवार को रोक दिया। सोरेन पर राज्य के खनन मंत्री के तौर पर खुद को एक खनन पट्टा आवंटित करने का आरोप है।

न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति एस आर भट और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ राज्य सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अलग-अलग याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय पीआईएल पर विचार करने के लिए तैयार हो गई है।

पीठ ने कहा, ‘‘पक्षकारों के वकीलों की दलीलें सुनी। आदेश सुरक्षित रखा जाता है। चूंकि शीर्ष न्यायालय के पास यह विषय है इसलिए उच्च न्यायालय लंबित याचिकाओं पर आगे नहीं बढ़ेगा।’’
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि उच्च न्यायालय ने अपने समक्ष सभी दस्तावेज रखे जाने से पहले ही याचिका पर विचार करने का फैसला कर लिया।

सिब्बल ने कहा, ‘‘मुझे यह खुली अदालत में कहना पड़ रहा है कि माई लॉर्ड मुझे अफसोस है। ऐसी क्या तात्कालिकता है? ’’
सोरेन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीआईएल दायर करने वाले व्यक्ति की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि फौजदारी याचिकाएं तकनीकी आधार पर न्यायिक अवलोकन से बाहर नहीं रखी जा सकतीं।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस साल फरवरी में दावा किया था कि सोरेन ने अपने पद का दुरूपयोग किया और खुद को एक खनन पट्टे से फायदा पहुंचाया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे में हितों का टकराव और भ्रष्टाचार, दोनों शामिल है।

उन्होंने आरोप लगाया था कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है।

विवाद का संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने मई में सोरेन को एक नोटिस भेज कर उन्हें जारी किये गये खनन पट्टे पर उनका स्पष्टीकरण मांगा था। यह पट्टा उन्हें उस वक्त जारी किया गया था जब खनन एवं पर्यावरण विभाग उनके पास था।

झारखंड उच्च न्यायालय में दायर याचिका में, खनन पट्टा प्रदान किये जाने में कथित अनियमितताओं की जांच का अनुरोध किया गया था। साथ ही, मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों एवं सहयोगियों से कथित तौर पर संबद्ध कुछ फर्जी कंपनियों के लेनदेन की भी जांच का आग्रह किया गया था।
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने तीन जून को अपने एक आदेश में कहा था कि इस अदालत का मानना है कि रिट याचिकाओं को विचार करने या ना करने के आधार पर न्यायिक अवलोकन से बाहर नहीं रखा जा सकता।



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PTI News Agency

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