माओवादी नेता के खिलाफ यूएपीए आरोप : उच्चतम न्यायालय केरल सरकार की याचिका की सुनवाई के लिए सहमत
Friday, Aug 12, 2022 - 07:56 PM (IST)
नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय केरल सरकार की उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए शुक्रवार को सहमत हो गया जिसमें केरल उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी गई है।
केरल उच्च न्यायालय ने भाकपा (माओवादी) के एक सदस्य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए)के तहत लगाए गए आरोपों को रद्द कर दिया था और कहा था कि उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अनुमति विलंब से दी गई थी।
न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने राज्य सरकार द्वारा दायर अपील पर आरोपी रूपेश को नोटिस जारी किया और मामले में अगली सुनवाई के लिए 19 सितंबर की तारीख तय की।
केरल सरकार ने उच्च न्यायालय के 17 मार्च, 2022 के निर्णय को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया है कि अनुमति के लिए यूएपीए के तहत निर्धारित समय सीमा "अनिवार्य’’ है। इसके साथ ही अदालत ने तीन मामलों को रद्द कर दिया था जो राजद्रोह और प्रतिबंधित संगठन का हिस्सा होने के आरोप से जुड़े थे।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति सिफारिश प्राप्त करने के छह महीने बाद दी गई थी। निर्णय में यह भी कहा गया था कि भारतीय दंड संहिता के तहत देशद्रोह के अपराध के लिए आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए दी गई अनुमति के संबंध में भी विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
केरल उच्च न्यायालय ने भाकपा (माओवादी) के एक सदस्य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए)के तहत लगाए गए आरोपों को रद्द कर दिया था और कहा था कि उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अनुमति विलंब से दी गई थी।
न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने राज्य सरकार द्वारा दायर अपील पर आरोपी रूपेश को नोटिस जारी किया और मामले में अगली सुनवाई के लिए 19 सितंबर की तारीख तय की।
केरल सरकार ने उच्च न्यायालय के 17 मार्च, 2022 के निर्णय को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया है कि अनुमति के लिए यूएपीए के तहत निर्धारित समय सीमा "अनिवार्य’’ है। इसके साथ ही अदालत ने तीन मामलों को रद्द कर दिया था जो राजद्रोह और प्रतिबंधित संगठन का हिस्सा होने के आरोप से जुड़े थे।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति सिफारिश प्राप्त करने के छह महीने बाद दी गई थी। निर्णय में यह भी कहा गया था कि भारतीय दंड संहिता के तहत देशद्रोह के अपराध के लिए आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए दी गई अनुमति के संबंध में भी विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया।
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