दिल्ली की अदालत ने एक व्यक्ति को दो वर्षीय बच्ची का अपहरण करने का दोषी ठहराया
Tuesday, Aug 09, 2022 - 04:37 PM (IST)
नयी दिल्ली, नौ अगस्त (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने एक व्यक्ति को दो वर्षीय बच्ची के अपहरण का दोषी ठहराया है।
अदालत ने कहा कि घटनाओं की श्रृंखला साबित हुई है और अभियोजन ने भी मामले को साबित किया है।
न्यायाधीश ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण) और 365 (गुप्त और अनुचित रूप से क़ैद करने के आशय से अपहरण) के तहत दोषी ठहराया। बच्ची का अपहरण दक्षिण दिल्ली की श्रम कॉलोनी से हुआ था।
पुलिस ने बच्ची को पश्चिम बंगाल के रत्नपुर इलाके में आरोपी के घर से बरामद किया था।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विवेक कुमार अग्रवाल ने कहा, “ मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि अभियोजन का मामला संदेह से परे जाकर साबित हुआ है।”
न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी जिद्दी एसके ने शिकायकर्ता की दो वर्षीय बच्ची का अपहरण किया।
आरोपी के वकील की दलीलों को खारिज करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि हर मामले में सरकारी गवाहों की गवाही को सिर्फ इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि मामले में कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है और यह मानने का कोई कारण नहीं है कि पुलिस दिल्ली से आरोपी के यहां गई और उसे फंसाने के लिए वहां पीड़िता को रख दिया।
अभियोजन के मुताबिक, बच्ची को एक फरवरी 2019 को अगवा किया गया था जिसके बाद मैदान गढ़ी थाने में मामला दर्ज किया गया था।
बच्ची को तीन दिन बाद बरामद किया गया था।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
अदालत ने कहा कि घटनाओं की श्रृंखला साबित हुई है और अभियोजन ने भी मामले को साबित किया है।
न्यायाधीश ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण) और 365 (गुप्त और अनुचित रूप से क़ैद करने के आशय से अपहरण) के तहत दोषी ठहराया। बच्ची का अपहरण दक्षिण दिल्ली की श्रम कॉलोनी से हुआ था।
पुलिस ने बच्ची को पश्चिम बंगाल के रत्नपुर इलाके में आरोपी के घर से बरामद किया था।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विवेक कुमार अग्रवाल ने कहा, “ मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि अभियोजन का मामला संदेह से परे जाकर साबित हुआ है।”
न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी जिद्दी एसके ने शिकायकर्ता की दो वर्षीय बच्ची का अपहरण किया।
आरोपी के वकील की दलीलों को खारिज करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि हर मामले में सरकारी गवाहों की गवाही को सिर्फ इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि मामले में कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है और यह मानने का कोई कारण नहीं है कि पुलिस दिल्ली से आरोपी के यहां गई और उसे फंसाने के लिए वहां पीड़िता को रख दिया।
अभियोजन के मुताबिक, बच्ची को एक फरवरी 2019 को अगवा किया गया था जिसके बाद मैदान गढ़ी थाने में मामला दर्ज किया गया था।
बच्ची को तीन दिन बाद बरामद किया गया था।
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