बिहार की 106 साल पुरानी खगोलीय वेधशाला लुप्तप्राय धरोहरों की सूची में नहीं : यूनेस्को

punjabkesari.in Tuesday, Aug 09, 2022 - 01:31 PM (IST)

नयी दिल्ली, नौ अगस्त (भाषा) संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने कहा है कि बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के एक कॉलेज में स्थित 106 साल पुरानी खगोलीय वेधशाला को उसकी लुप्तप्राय विश्व विरासत सूची में शामिल नहीं किया गया है।

वैश्विक निकाय का यह स्पष्टीकरण मीडिया में प्रकाशित उन खबरों के मद्देनजर आया है, जिनमें कहा गया था कि मुजफ्फरपुर के एक कॉलेज की वेधशाला को यूनेस्को की लुप्तप्राय विश्व विरासत वेधशाला सूची में जगह दी गई है।

लंगत सिंह कॉलेज में 1916 में स्थापित की गई यह वेधशाला पूर्वी भारत में अपनी तरह की पहली वेधशाला है। इसकी स्थापना का मकसद छात्र-छात्राओं को खगोलशास्त्र का विस्तृत ज्ञान देना था।

यूनेस्को ने भारत स्थित अपने कार्यालय के माध्यम से जारी एक बयान में कहा, “भारतीय मीडिया में पिछले कुछ दिनों में प्रकाशित उन खबरों के मद्देनजर, जिनमें कहा गया है कि बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के लंगत सिंह कॉलेज की 106 साल पुरानी खगोलीय वेधशाला को लुप्तप्राय विश्व विरासत सूची में डाला गया है, यूनेस्को का नयी दिल्ली स्थित कार्यालय यह स्पष्ट करना चाहेगा कि यूनेस्को की सूची में इसका कोई उल्लेख नहीं किया है।”
आठ अगस्त को जारी इस बयान के मुताबिक, “किसी प्रतिष्ठान को विश्व धरोहर सूची में अंकित करने के लिए पहले कदम के रूप में भारत सरकार को इसे अपनी अस्थायी सूची में शामिल करना चाहिए। वर्तमान में इस खगोलीय वेधशाला के संबंध में ऐसा नहीं किया गया है।”
बयान पर यूनेस्को के नयी दिल्ली स्थित कार्यालय के निदेशक एरिक फाल्ट के दस्तखत हैं।

यूनेस्को का मुख्यालय फ्रांस की राजधानी पेरिस में है और यह निकाय वैश्विक स्तर पर कला, संस्कृति और धरोहरों के संरक्षण को बढ़ावा देता है।

बयान के मुताबिक, “प्रतिष्ठानों के चयन से जुड़े मानदंड विश्व विरासत सम्मेलन के कार्यान्वयन के लिए तैयार दिशा-निर्देशों में समझाए गए हैं, जो विश्व विरासत के संरक्षण की दिशा में काम करने का मुख्य मसौदा है।”
उत्तर बिहार का लंगत सिंह कॉलेज अब भीम राव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय से संबद्ध है। इसकी स्थापना 1899 में हुई थी।



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PTI News Agency

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