बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों, इंजीनियरों का विद्युत संशोधन विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन: एआईपीईएफ

Monday, Aug 08, 2022 - 04:17 PM (IST)

नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) देश भर में बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों और इंजीनियरों ने विद्युत संशोधन विधेयक 2022 के विरोध में सोमवार को काम बंद कर दिया और विरोध प्रदर्शन किया। अखिल भारतीय बिजली इंजीनियर्स महासंघ (एआईपीईएफ) ने यह कहा।
केंद्रीय मंत्री आर के सिंह ने सोमवार को लोकसभा में बिजली संशोधन विधेयक पेश किया। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से इसे व्यापक विचार-विमर्श के लिए ऊर्जा पर बनी संसद की स्थायी समिति के पास भेजने का भी आग्रह किया।
एआईपीईएफ विधेयक का विरोध कर रहा है। उसका कहना है कि यह बिजली उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सभी सब्सिडी को समाप्त कर देगा, जो आम लोगों विशेषकर किसानों और दलितों को प्रभावित करेगा।
पिछले हफ्ते एआईपीईएफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे हस्तक्षेप का आग्रह किया था और विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की थी।
एआईपीईएफ के एक बयान में कहा गया है, ‘‘बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति के आह्वान पर आज देश भर के लाखों बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने काम बंद कर दिया और विरोध प्रदर्शन किया।’’ एआईपीईएफ के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने बयान में कहा कि बिजली कर्मचारी सड़कों पर उतरे, काम का बहिष्कार किया और विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा, ‘‘ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण के काम को पूरा करने की दृष्टि से इस विधेयक को अलोकतांत्रिक तरीके से’’ संसद में पेश किया गया है।
बयान के अनुसार, बिजली कर्मचारी मांग कर रहे हैं कि बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 को उसके वर्तमान स्वरूप में वापस लिया जाना चाहिए और अगर सरकार इसे लाना चाहती है तो इसे स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए ताकि सभी संबंधित पक्ष, विशेष रूप से आम बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों को अपने विचार प्रस्तुत करने का अवसर मिल सके।
बिजली इंजीनियरों के संगठन के अनुसार, केंद्र सरकार ने पिछले साल संयुक्त किसान मोर्चा को लिखे एक पत्र में वादा किया था कि किसानों और अन्य अंशधारकों के साथ विस्तृत बातचीत किए बिना विधेयक को संसद में पेश नहीं किया जाएगा।
केंद्र सरकार ने आज तक उपभोक्ताओं और बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के साथ कोई बातचीत नहीं की है।
बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार की इस एकतरफा कदम से कर्मचारियों में खासा रोष है।
एआईपीईएफ ने कहा कि विद्युत (संशोधन) विधेयक 2022 में एक प्रावधान है कि एक ही क्षेत्र में एक से अधिक वितरण कंपनियों को लाइसेंस दिए जाएंगे। निजी क्षेत्र की नई वितरण कंपनियां सार्वजनिक क्षेत्र के नेटवर्क का उपयोग करके बिजली की आपूर्ति करेंगी।
बयान में कहा गया है कि विधेयक में यह भी प्रावधान है कि सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को बिजली उपलब्ध कराने की ''सार्वभौमिक बिजली आपूर्ति दायित्व'' केवल सरकारी कंपनियों पर लागू होगा, जबकि निजी क्षेत्र की आपूर्तिकर्ता कंपनियां, केवल लाभदायक औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को अपनी इच्छा के अनुसार बिजली देकर मुनाफा अर्जित करेंगी।
संगठन के अनुसार वितरण नेटवर्क को बनाए रखने की जिम्मेदारी सरकारी कंपनियों की होगी।
एआईपीईएफ ने कहा कि विधेयक के अनुसार, सब्सिडी और ‘क्रॉस सब्सिडी’ (एक की कीमत पर दूसरे को सब्सिडी) खत्म की जाएगी ताकि बिजली की पूरी कीमत सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं से वसूल की जा सके।
दुबे ने कहा कि सोमवार को देश भर के सभी बिजली उत्पादन घरों में कामगारों ने अपना काम छोड़ दिया और प्रदर्शन शुरू कर दिया।
उन्होंने कहा कि हैदराबाद, चेन्नई, त्रिवेंद्रम, बैंगलोर, विजयवाड़ा, लखनऊ, पटियाला, देहरादून, शिमला, जम्मू, श्रीनगर, चंडीगढ़, मुंबई, कोलकाता, पुणे, वडोदरा, रायपुर, जबलपुर, भोपाल, रांची, गुवाहाटी, शिलांग, पटना, भुवनेश्वर, जयपुर में विरोध प्रदर्शन हुए।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से केंद्र सरकार विद्युत अधिनियम 2003 में संशोधन करने जा रही है, जिसका बिजली कर्मचारियों के साथ-साथ उपभोक्ताओं पर भी दूरगामी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने वाला है।


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PTI News Agency

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