सुधीर : पैरा पॉवरलिफ्टिंग में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय

punjabkesari.in Sunday, Aug 07, 2022 - 02:16 PM (IST)

नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) एक वक्त था जब अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं की कुछ ही प्रतियोगिताओं में भारतीय खिलाड़ियों से पदक जीतने की उम्मीद की जाती थी, लेकिन हाल के वर्षों में इस चलन में बदलाव आया है। अब ओलंपिक खेल हों, एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल या विश्व प्रतियोगिताएं, भारतीय खिलाड़ी अपने प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़कर सुनहरी जीत हासिल करने का हुनर सीख गए हैं। इस श्रृंखला में अगला नाम है, हरियाणा के सुधीर का, जिन्होंने बर्मिंघम में चल रहे राष्ट्रमंडल खेलों के सातवें दिन पैरा पॉवरलिफ्टिंग स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। यह कारनामा अंजाम देने वाले वह पहले भारतीय खिलाड़ी हैं।

सुधीर ने 72 किलोग्राम से अधिक वजन वाली हैवीवेट श्रेणी में 212 किलो वजन उठाकर स्वर्ण पदक हासिल किया। हालांकि इसके बाद भी सुधीर की एक लिफ्ट बाकी थी, लेकिन वह इस भार में सुधार करने में नाकाम रहे। उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में नया रिकॉर्ड कायम करते हुए 134.5 अंक हासिल किए। नाइजीरिया का पैरा लिफ्टर मात्र 0.9 अंक से सुधीर से पीछे रहा और 133.6 अंक के साथ उसे रजत पदक से संतोष करना पड़ा।


सुधीर का जन्म 27 अक्टूबर 1994 को हरियाणा के सोनीपत के लाठ गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। चार बरस की उम्र में सुधीर पोलियो की चपेट में आने के कारण पैरों से लाचार हो गए, लेकिन इससे बड़े होने पर खेलों के प्रति उनके रुझान में कोई कमी नहीं आई और उन्होंने 2013 से अपने खेल जीवन की शुरूआत की।

उन्होंने 2016 में पहली बार राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लिया और स्वर्णिम सफलता हासिल की। उनकी सफलता का यह सिलसिला पिछले छह बरस से बरकरार है। 2018 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में कदम रखा और जकार्ता में हुए एशियन पैरा गेम्स में कांस्य पदक हासिल किया। 2018 में ही दुबई में विश्व कप में उन्होंने रजत पदक हासिल किया।

खेल स्पर्धाओं में अमूमन वेटलिफ्टिंग स्पर्धाओं से लोग वाकिफ होते हैं और उनमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का खास दबदबा है। पैरा पॉवरलिफ्टिंग की बात करें तो राष्ट्रमंडल खेलों की वेबसाइट के अनुसार इसमें बेंच प्रेस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें खिलाड़ियों को खास तौर से बनाए गए एक बेंच पर पोजिशन लेकर वजन उठाना होता है। इस दौरान उनकी कोहनियां स्थिर होती हैं
‘स्टार्ट’ सिग्नल मिलते ही खिलाड़ी बार को झुकाकर अपने सीने तक ले आते हैं और कुछ क्षण स्थिर रखने के बाद उसे ऊपर उठाते हैं। इस दौरान बार एकदम स्थिर बनी रहनी चाहिए। उसके बाद खिलाड़ी को बार को उसके निर्धारित स्थान पर रख देने का संकेत दिया जाता है।

इस स्पर्धा में अंक निर्धारित करने की प्रक्रिया थोड़ी जटिल है। प्रत्येक खिलाड़ी को उसकी क्षमता और वजन के अनुसार उसके प्रदर्शन के सही अंक प्राप्त हों इसके लिए एक विशेष फार्मूले का इस्तेमाल किया जाता है और खिलाड़ियों के वजन के आधार पर लाइटवेट और हैवीवेट श्रेणियों में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों में से विजेता का चयन किया जाता है

यहां यह जान लेना दिलचस्प होगा कि सुधीर को 2018 में नेशनल पैरा पॉवरलिफ्टिंग चैंपियनशिप के दौरान ‘‘स्ट्रांग मैन ऑफ इंडिया’’ के खिताब से नवाजा गया था और ‘‘इंडिया’’ का वही ‘‘स्ट्रांग मैन’’ सात समंदर पार बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का परचम ऊंचा करने में कामयाब रहा।



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PTI News Agency

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