कोकिंग कोयला खनन में निवेश की जरूरत: कुलस्ते
punjabkesari.in Wednesday, Jul 27, 2022 - 10:04 AM (IST)
नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने मंगलवार को कहा कि देश में इस्पात उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने के लिये कोकिंग कोयला खनन क्षेत्र में निवेश की जरूरत है।
इस्पात राज्यमंत्री कुलस्ते ने कहा कि बीएफ-बीओएफ (ब्लास्ट फर्नेस-बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस) के जरिये इस्पात उत्पादन के लिये लौह अयस्क और कोकिंग कोयला दो महत्वपूर्ण कच्चे माल हैं। देश लौह अयस्क के मामले में आत्मनिर्भर है लेकिन वित्त वर्ष 2021-22 में 12 करोड़ टन कच्चे इस्पात के उत्पादन के लिये 5.7 करोड़ टन कोकिंग कोयले का आयात किया गया।
इस्पात मंत्रालय ने मंत्री के हवाले से एक बयान में कहा, ‘‘देश के लिए इस्पात की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वदेशी कोकिंग कोयला खनन और वॉशिंग टेक्नोलॉजीज के विकास में निवेश करना समय की जरूरत है।’’
मेटालॉजिक पीएमएस के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि देश में कम मात्रा में कोकिंग कोल की उपलब्धता को देखते हुए कोकिंग कोल के आयात की मात्रा में वृद्धि जारी रहेगी। इसका कारण देश की इस्पात उत्पादन क्षमता 2030-31 तक 30 करोड़ टन तक पहुंचने का लक्ष्य है।
कुलस्ते ने कहा कि देश में लगभग 34 अरब टन कोकिंग कोयले का संसाधन है, जिसमें से लगभग 18 अरब टन पहले ही प्रमाणित हो चुका है। खनन और वॉशिंग के संदर्भ में प्रौद्योगिकी का विकास होने से देश को आत्मनिर्भर बनाने के अलावा रोजगार के अवसर पैदा करने और शहरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की प्रक्रिया को तेज करने में भी मदद मिल सकती है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
इस्पात राज्यमंत्री कुलस्ते ने कहा कि बीएफ-बीओएफ (ब्लास्ट फर्नेस-बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस) के जरिये इस्पात उत्पादन के लिये लौह अयस्क और कोकिंग कोयला दो महत्वपूर्ण कच्चे माल हैं। देश लौह अयस्क के मामले में आत्मनिर्भर है लेकिन वित्त वर्ष 2021-22 में 12 करोड़ टन कच्चे इस्पात के उत्पादन के लिये 5.7 करोड़ टन कोकिंग कोयले का आयात किया गया।
इस्पात मंत्रालय ने मंत्री के हवाले से एक बयान में कहा, ‘‘देश के लिए इस्पात की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वदेशी कोकिंग कोयला खनन और वॉशिंग टेक्नोलॉजीज के विकास में निवेश करना समय की जरूरत है।’’
मेटालॉजिक पीएमएस के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि देश में कम मात्रा में कोकिंग कोल की उपलब्धता को देखते हुए कोकिंग कोल के आयात की मात्रा में वृद्धि जारी रहेगी। इसका कारण देश की इस्पात उत्पादन क्षमता 2030-31 तक 30 करोड़ टन तक पहुंचने का लक्ष्य है।
कुलस्ते ने कहा कि देश में लगभग 34 अरब टन कोकिंग कोयले का संसाधन है, जिसमें से लगभग 18 अरब टन पहले ही प्रमाणित हो चुका है। खनन और वॉशिंग के संदर्भ में प्रौद्योगिकी का विकास होने से देश को आत्मनिर्भर बनाने के अलावा रोजगार के अवसर पैदा करने और शहरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की प्रक्रिया को तेज करने में भी मदद मिल सकती है।
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