एमएसएमई के वित्तपोषण के लिए ‘अकाउंट एग्रीगेटर’ मानक अपनाएं नियामकः संसदीय समिति

punjabkesari.in Wednesday, Jul 27, 2022 - 10:03 AM (IST)

नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) संसद की एक समिति ने एमएसएमई क्षेत्र को दिए जाने वाले कर्जों में तेजी लाने के लिए वित्तीय क्षेत्र के नियामकों से ‘अकाउंट एग्रीगेटर’ मानकों को अपनाने में तेजी लाने को कहा है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद जयंत सिन्हा की अगुवाई वाली वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने मंगलवार को कहा कि एकीकृत डिजिटल पारिस्थितिकी के माध्यम से सूक्ष्म, लघु एवं मझोली इकाइयों (एमएसएमई) के लिए वित्तपोषण का दायरा बढ़ाया जा सकता है।
समिति ने कहा कि एक बार ऐसी पारिस्थितिकी विकसित हो जाने पर एमएसएमई इकाइयों को कार्यशील पूंजी जुटाने में मदद के लिए किफायती ऋण-सुविधा दे पाना संभव होगा। इससे इन इकाइयों के राजस्व के विए व्यापार वित्त दिया जा सकेगा और किफायती दरों पर पूंजी कर्ज भी दिया जा सकता है।

संसदीय समिति के अनुसार, प्रस्तावित डिजिटल पारिस्थितिकी रियायती दर पर वित्त मुहैया कराने में मदद करेगी। इसके अलावा बाह्य कारणों से मुश्किल आर्थिक हालात से गुजर रहे क्षेत्रों को ऋण गारंटी भी दे पाना मुमकिन होगा।

समिति ने राजस्व विभाग और भारतीय रिजर्व बैंक को सुझाव दिया है कि अकाउंट एग्रीगेटर के ढांचे में जीएसटी पहचान संख्या को औपचारिक रूप से शामिल करने के लिए जरूरी प्रौद्योगिकी एवं नियामकीय जरूरतों के बारे में अपनी चर्चा पूरी करें। इससे नियमन के दायरे में आने वाली सभी इकाइयों की जीएसटी आंकड़े तक पहुंच का रास्ता साफ होगा।

संसदीय समिति का मानना है कि बैंकों एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) समेत वित्तीय क्षेत्र की विनियमित इकाइयों को जीएसटी आंकड़े तक सुरक्षित पहुंच देना जरूरी है। इस तरह विनियमित अकाउंट एग्रीगेटर राजस्व के भावी अनुमान के आधार पर कर्जों की संस्तुति कर सकते हैं।




यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

PTI News Agency

Recommended News

Related News